आईओसीएल सहजनवा में एनडीआरएफ और जिला प्रशासन ने किया सयुंक्त मेगा मॉक ड्रिल "समन्वय"

 

आईओसीएल सहजनवा में एनडीआरएफ और जिला प्रशासन ने किया सयुंक्त मेगा मॉक ड्रिल “समन्वय”

पूर्वांचल बुलेटिन निष्पक्ष खबर अब तक 
हिमांशु शुक्ला की रिर्पोट 
गोरखपुर प्रभारी 

 गोरखपुर सहजनवा स्थित आईओसीएल बॉटलिंग प्लांट में गैस लीक होने की खबर सुनते ही भगदड़ मच गई। एनडीआरएफ, जिला प्रशासन, फायर ब्रिगेड समेत कई एजेंसिया हरकत में आ गई और मौके पर पहुंचकर तुरंत ही राहत-बचाव में जुट गई। कुछ ही देर में इन एजेंसियों ने हालातों को काबू पर काबू पा लिया। यह मौका था आईओसीएल कंपनी के प्लांट में गैस रिसाव का, यहां मेगा मॉक ड्रिल “समन्वय” का अभ्यास हो रहा था जिसका मुख्य उद्धेश्य रासायनिक आपदाओं में काम करने वाले हितधारकों में आपसी समन्वय बढ़ाना और कमियों को दूर करना था।

दोपहर करीब 1 बजे आईओसीएल के LPG प्लांट के पम्प हाउस एरिया में गैस का रिसाव होने की खबर आग की तरह फैल गई, जिससे कंपनी कर्मचारियों में भगदड़ मच गई। हादसे को देखते ही प्रभावितों को रेस्क्यू करने का प्रयास किया गया परंतु स्थिति पर काबू न होने पर इसे इमरजेंसी घोषित किया गया एवं इओसी डिस्ट्रिक्ट गोरखपुर द्वारा तत्काल एनडीआरएफ को बुलाया गया! ख़बर मिलते ही एनडीआरएफ के टीम कमांडर गोपी गुप्ता, सेफ्टी ऑफिसर निरीक्षक डी. पी. चंद्रा सहित 30 सदस्यीय टीम आईओसीएल  LPG प्लांट में पहुंची और तुरंत राहत व बचाव कार्य आरंभ किया। रेस्क्यू में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट पहनकर एनडीआरएफ जवानों ने गैस रिसाव वाला स्थान चिन्हित किया एवं अपने उपर्युक्त उपकरणों द्वारा रिसाव बंद किया तथा साथ ही साथ बचाव दल ने प्रभावितों को सुरक्षित बाहर निकाला। औद्योगिक आपदा प्रबंधन पर 11 एनडीआरएफ के क्षेत्रीय प्रत्युत्तर केंद्र गोरखपुर ने आईओसीएल प्लांट सहजनवा गोरखपुर के साथ संयुक्त मॉक ड्रिल का यह आयोजन शनिवार को किया। इस अभ्यास में 11 एनडीआरएफ के क्षेत्रीय प्रत्युत्तर केंद्र गोरखपुर ने प्रारम्भिक चरण में योजना एवं समन्वय, में सक्रिय भागीदारी और सहायता प्रदान करके ड्रिल के दौरान मुख्य भूमिका निभायी। एनडीआरएफ के  रेस्क्यूएर्स ने सभी आवश्यक प्रतिक्रिया उपकरणों के साथ मॉक ड्रिल में भाग लिया। अभ्यास के दौरान एनडीआरएफ के द्वारा कमांड पोस्ट व मेडिकल बेस कम्युनिकेशन पोस्ट की भी स्थापना की ताकि वास्तविक आपदा की तरह ही मूक अभ्यास में भी  स्थिति पर नजर रखी जा सके और पीड़ितों को जल्द से जल्द मेडिकल फर्स्ट ऐड प्रदान की जा सके। 

मॉक ड्रिल के दौरान प्रभावी कार्य प्रणाली एवं प्रतिक्रिया और साथ ही प्रतिक्रिया उपकरणों के साथ त्वरित और सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करने के लिए यह अभ्यास किया गया। औद्योगिक आपदा मॉक ड्रिल समाज के सभी वर्गों में जन-जागरुकता उत्पन्न करता है। इस तरह के मॉक ड्रिल बेहतर समन्वय विकसित करते हैं जो वास्तविक आपदा स्थितियों में जान व माल की हानि कम करने के उद्देश्य से प्रतिक्रिया करने के लिए आवश्यक है। आपदा प्रतिक्रिया न केवल विशेष संगठन का कार्य है, बल्कि सामुदायिक समूह, युवा, गैर-सरकारी संगठन, सम्बंधित अधिकारी, कर्मचारी और प्रशासन भी आपदा प्रबंधन के लिए जवाबदेह हैं। औद्योगिक दुर्घटना में चेतावनी बहुत कम है और नुकसान ज्यादा है। इस दुर्घटना से जीवन संम्पति, आजीविका और पर्यावरण में बहुत बड़ा नुकसान होता है। विभिन्न रूप में खतरनाक सामग्री की वजह से मौत, गम्भीर चोट, इमारतों, घरों और अन्य संम्पतियों का नुकसान हो सकता है। औद्योगिक स्थापना के अंतर्गत आने वाला इलाका तत्काल खतरे में आ सकता है। प्लांट के लगभग 150 कर्माचारियों और स्थानीय लोगों ने संयुक्त अभ्यास को देखा। उसके बाद डी-ब्रिफिंग सत्र का आयोजन हुआ जिसमें एनडीआरएफ के पेशेवर कौशल की स्थानीय जनता, अधिकारियों, आपदा विशेषज्ञों एवं प्रशासन ने सराहना की।

 एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट श्री  पी एल शर्मा ने बताया कि इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में काम कर रही विभिन्न एजेंसियों के बीच परस्पर समन्वय तथा कार्य क्षमता को और बढ़ाना है ताकि वास्तविक आपदा के दौरान जानमाल के नुकसान को रोका जा सके। इस मॉक ड्रिल में मुख्य रूप से सुरेश राय एसडीएम सजनवा,  शशि भूषण पाठक, राहुल साही co कैंपियरगंज, राजेश कुमार सिंह ADM F/R आदि सम्मानित ब्यक्ति उपस्थित थे।

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