मनुष्य को भय से मुक्त करती है श्रीमद् भागवत कथा :आचार्य संतोष-पूर्वांचल बुलेटिन निष्पक्ष खबर अब तक

*मनुष्य को भय से मुक्त करती है श्रीमद् भागवत कथा :आचार्य संतोष*
*सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन*
सिद्धार्थनगर।
श्रीमद् भागवत मनुष्य को भय से मुक्त करती है। मनुष्य जो कि सांसारिक मोह बंधनों से बंधा है वह यदि श्रीमद् भागवत को मनोभाव से सुनता है तो उसको सभी मोह बंधनों से मुक्ति मिलती है तथा वह भगवान श्री हरि के चरणों में स्थान पा लेता है। श्रीमद् भागवत के सभी अक्षर जीवन में नई प्रेरणा देते हैं।


       उपरोक्त बातें प्रख्यात कथावाचक आचार्य संतोष जी महाराज ने कही। जनपद मुख्यालय स्थित हनुमान गढ़ी मंदिर में सम्पन्न हुए श्रीमद भागवत कथा के जरिए ज्ञान गंगा प्रवाहित करने वाले पंडित संतोष शुक्ल जी महाराज के मुखरवृन्द से भागवत कथा में चार वेद, पुराण, गीता एवं श्रीमद् भागवत महापुराण की व्याख्या उपस्थित भक्तों ने श्रवण किया। विगत सात दिनों तक भगवान श्री कृष्ण जी के वात्सल्य प्रेम, असीम प्रेम के अलावा उनके द्वारा किए गए विभिन्न लीलाओं का वर्णन कर वर्तमान समय में समाज में व्याप्त अत्याचार, अनाचार, कटुता, व्यभिचार को दूर कर सुंदर समाज निर्माण के लिए युवाओं को प्रेरित किया। इस धार्मिक अनुष्ठान के अंतिम दिन भगवान श्री कृष्ण के सर्वोपरी लीला श्री रास लीला, मथुरा गमन, दुष्ट कंस राजा के अत्याचार से मुक्ति के लिए कंसबध, कुबजा उद्धार, रुक्मणी विवाह, शिशुपाल वध आदि का वर्णन कर लोगों को भक्तिरस में डुबो दिया।

इस दौरान उनके भजन गायन ने उपस्थित लोगों को ताल एवं धुन पर नृत्य करने के लिए विवश कर दिया। पंडित जी ने सुंदर समाज निर्माण के लिए गीता से कई उपदेश के अनुरूप आचरण करने को कहा। उन्होंने कहा कि  जो काम प्रेम के माध्यम से संभव है, वह हिंसा से संभव नहीं हो सकता है। समाज में कुछ लोग ही अच्छे कर्मों द्वारा सदैव चिर स्मरणीय होते है, इतिहास इसका साक्षी है। लोगों ने देर शाम तक इस संगीतमयी भागवत कथा का आनंद उठाया। इस सात दिवसीय भागवत कथा में आस-पास के अलावा दूर दराज से काफी संख्या में महिला-पुरूष भक्तों ने इस कथा का आनंद उठाया। सात दिनों तक इस कथा में वातावरण भक्तिमय रहा। प्रवचन के बाद मंदिर कमेटी के द्वारा उपस्थित भक्तों के बीच प्रसाद वितरण किया गया।

जिला संवाददाता-‌ मोहम्मद अयूब सिद्धार्थनगर।

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