*रामचरितमानस प्रसारण एवं साहित्य महोत्सव का शुभारंभ*
सिद्धार्थनगर।
सिद्धार्थ एकेडमी नादेपार चौराहा में सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग एवं दिशा निर्देशन मे आभा विकास संस्थान बस्ती द्वारा आयोजित रामचरितमानस प्रसारण एवं साहित्य महोत्सव का शुभारंभ दिनांक 10 सितंबर से 13 सितंबर 2024 तक किया गया इसमें मुख्य आकर्षण केंद्र श्री रामचरितमानस साहित्य श्री रामचरितमानस बालकांड एवं श्री रामचरितमानस की रचना एवं साहित्य के बारे में बताया गया ।
इस कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि हमारा देश भारत सांस्कृतिक धरती की लोक विधाओं के मामले में धनी माना जाता रहा है यहां पर जितने राज्य हैं हर जगह कई प्रकार की शास्त्रीय एवं साहित्य महोत्सव होते रहते हैं लेकिन आधुनिकता की चकट चौथ के चलते कई जगह विधाएं विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी हैं ऐसे में स्वैच्छिक संस्था आभा विकास संस्थान और भारत सरकार की संस्कृति मंत्रालय सौजन्य से अवधि रघुराई लोकगीतों और लोक नृत्य की मंची प्रस्तुति विभिन्न कलाकारों द्वारा दी गई कलाकारों ने मंच को रामचरितमानस, बाल काण्ड, सुंदर काण्ड आदि को लोकगीतों के माध्यम से प्रस्तुत किया। आचार्य ओम कार शुक्ल ने बताया कि रामायण हिन्दू रघुवंश के राजा राम की गाथा है। यह संस्कृति का एक अनुपम महाकाव्य स्मृति का वह अंग है जिसे महर्षि वाल्मिकी द्वारा लिखा गया है। लवकुश काण्ड को लोकगीतों और लोक नृत्य से सजाया गया। ऋषि वाल्मीकि प्रमाणित करते हैं की लव कुश राजा श्री राम के ही पुत्र हैं। उत्तर रामायण में लव कुश की कहानी को दर्शाया गया है। जिसमें माँ सीता को श्री राम त्याग देते हैं और माँ सीता महाऋषि वाल्मीकि के आश्रम में जाकर रहने लगती हैं।
इस कार्यक्रम में लोक गायिका संध्या मिश्रा तथा आचार्य विशाल तिवारी ने अपने लोक नृत्य गीतों से कुछ ऐसा समा बाधा की लोग वाह वाह कर उठे, सामाजिक कार्यकर्ता मिथुन्न यादव ने कहा कि ऐसे मानव आयोजन से लोक मानस का चित्र बदलता है । इस कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि अखिलेश कनौजिया के द्वारा दीप जलाने के तत्पश्चात ज्ञान की देवी मां सरस्वती की वंदना के द्वारा शुरू किया गया। कार्यक्रम के दौरान गौरव मिश्रा, विशाल तिवारी, संध्या मिश्रा, पिंकी भास्कर, लक्ष्मी प्रजापति, मिथुन यादव, अखिलेश कनौजिया आदि अतिथियों को अंग वस्त्र व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया इस अवसर पर गौरव मिश्रा ने कहा कि विलुप्त हो रही लोक कलाओं व विधाओं को सुरक्षित रखने व आगामी पीढ़ी के लिए उसे जनमानस को अवगत कराने तथा ग्रामीण अंचलों में रहने वाले लोक कलाकारों को मंच प्रदान करने तथा कला को निखारने की दिशा में यह सराहनीय प्रयास है रामचरितमानस का अति सुंदर चित्रण से लगता है कि भगवान राम की लीलाओं की व्यक्ति की छह प्रकट हुई और लोक शैली पर आधारित लोक नृत्य लक्ष्मी प्रजापति द्वारा प्रस्तुत किया गया, इस साहित्य महोत्सव के अवसर पर लोक परंपरा पर आधारित गीतों का संचालन हुआ। इस कार्यक्रम के दौरान विद्यालय के सभी अध्यापक वह अध्यापिकाएं तथा बच्चे और ग्रामीण सभी मानवजन उपस्थित रहे तथा सभी रामचरितमानस तथा सुंदरकांड का संचालन को देख प्रसन्न एवं प्रफुल्लित हो उठे।
जिला संवाददाता- मोहम्मद अयूब सिद्धार्थनगर।