सैय्यद शफीकूरहमान की रिपोर्ट संतकबीरनगर
पूर्वांचल बुलेटिन निष्पक्ष ख़बर रिपोर्ट सैय्यद शफीकूरहमान। बाबू शिवदयाल सिंह चौरसिया के 122 वे जन्मदिन को चौरसिया समाज के लोगो ने श्रद्धापूर्वक बनाया।
सामाजिक न्याय के पुरोधा थे बाबू शिवदयाल सिंह चौरसिया – ओंकारनाथ चौरसिया अध्यक्ष।
संतकबीरनगर -जिले के बरईटोला स्थित काली मंदिर धर्मशाला में आज बाबू शिवदयाल सिंह चौरसिया सामाजिक परिवर्तन ट्रस्ट के बैनर तले चौरसिया समाज ने, बाबू शिवदयाल सिंह चौरसिया का 122 वां जन्मदिन बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ श्रद्धा पूर्वक मनाया। सैकड़ो की संख्या में चौरसिया समाज के लोगों ने बाबू शिवदयाल सिंह चौरसिया सामाजिक परिवर्तन ट्रस्ट के बैनर तले उपस्थित होते हुए।
बाबू शिवदयाल सिंह चौरसिया के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए उनके जन्मदिन को मनाया। इस अवसर पर संगठन के जिला अध्यक्ष एडवोकेट ओंकारनाथ चौरसिया ने कहा कि राजनैतिक रूप से उपेक्षित चौरसिया समाज को अपनी हिस्सेदारी पाने के लिये एकजुट होना होगा.चौरासिया समाज के लोगों को व्यापक स्तर पर जोड़कर उनके सुख दुख में साथ खड़ा होकर अपनेपन का अहसास कराना होगा. बाबू शिवदयाल सिंह चौरसिया की पहचान सीमित नही है इसलिये समाज का सशक्त होना उनके लिये सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
इस अवसर पर पहुंचे जिला पंचायत सदस्य राम सुरेश चौरसिया ने कहा कि बाबू शिवदयाल सिंह चौरसिया, चौरसिया समाज के एक ऐसे मूर्धन्य नेता, थे जो समाज सेवक और समाज को दिशा देने वाले शख्स थे जिन्होंने देश में अदद क्रांति का शंखनाद किया था। उस वक्त देश गुलाम था और गुलामी के पृष्ठभूमि में बाबू शिवदयाल सिंह चौरसिया ने वह सब कुछ देखा था जो सामाजिक विषमता के चक्रव्यूह में छोटे-छोटे जातियों के जो लोग पिछड़े हुए थे और दबंगों द्वारा उन्हें तरह-तरह के अपमानित और प्रताड़ना का सामना करना पड़ता था।
ऐसे में समाज को दिशा देने के लिए समाज को चौरस करना आवश्यक था। बाबू शिवदयाल सिंह चौरसिया ने यह काम अपने कंधों पर उठाया और डॉ भीमराव अंबेडकर को मार्गदर्शन देते हुए संविधान में अधिकार और कर्तव्य को एक पृष्ठभूमि में जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया। काका कालेकर साहब के साथ उनका संबंध बेहद उम्दा था। डॉ भीमराव अंबेडकर को उन्होंने मौके- मौके पर वह सलाह मशविरा देते थे। साथ ही साथ उन्हें आगे बढ़ाने और उन्हें ताकत देने में उनका योगदान सर्वोपरि था। मान्यवर कांशी राम को ऊंचाइयां देने में भी इनका श्रेय कम नहीं था।
इनका जन्म ग्राम खरिका (वर्तमान नाम तेलीबाग) लखनऊ में 13 .3 1903 ई. में हुआ था। इनके पिता का नाम पराग राम चौरसिया था। इनका सुनारी का पैतृक व्यवसाय था। बचपन मे ही इनकी माता की मृत्यु हो गई थी।
वह पढ़ाई-लिखाई में शुरुआत से ही बहुत कुशाग्र थे। इन्होंने विलियम मिशन हाईस्कूल, लखनऊ से मैट्रिक और कैनिंग कॉलेज से बीएसी और एलएलबी की डिग्री हासिल की। उस समय के आम चलन के अनुसार अन्य स्वतंत्र चेता लोगों की तरह ये भी बैरिस्टर बने। उन्होंने डॉ. अंबेडकर के साथ डिप्रेस्ड लीग में काम किया तथा रामासामी नायकर पेरियार को पिछड़ा वर्ग सम्मेलन में उत्तरप्रदेश में बुलाया था। लखनऊ के भदन्त बोधनंद जी ने बाबा साहेब से चौरसिया जी को मिलाया था।
उन्होंने साइमन कमीशन का स्वागत किया और 5 जनवरी 1928 को उसके लखनऊ आगमन पर उसके समक्ष वंचितों के वाजिब हक-अधिकार की मांग रखी। पिछड़े समाज के विभिन्न जातीय संगठनों द्वारा दिए जा रहे ज्ञापन तथा गवाहों की सुनवाई में हिंदी को अंग्रेजी में अनुवाद कर कमीशन के समक्ष दुभाषिये का काम किया और उसका ड्राफ्ट बनाने में कानूनी मदद की।
कार्यक्रम के अंत में इन्होंने अपना क्रांतिकारी बयान कलमबंद करवाया। 1929 में वकालत शुरू की, कैसर बाग कचहरी परिसर में अपने बैठने की जगह की दीवाल पर अनेक क्रांतिकारी उद्धरण वाक्य लगाए रखते थे। ये उद्धरण सामाजिक भेदभाव और उच्च-नीच के खिलाफ होते थे।
इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन दुर्गेश चौरसिया ने किया। जिनमें मुख्य रूप से राम चौरसिया सिद्धनाथ चौरसिया, राम सुरेश चौरसिया,राजकुमार चौरसिया, मुरली मनोहर चौरसिया,आदित्य चौरसिया, रामचंद्र चौरसिया, डॉक्टर रामबचन, संत प्रसाद चौरसिया , जमुना प्रसाद चौरसिया , हरकेश चौरसिया ,रुदल प्रसाद चौरसिया , सरबजीत चौरसिया , गिरजा शंकर चौरसिया, कृष्णा चौरसिया, विनोद चौरसिया, वीरेंद्र चौरसिया, डॉ राधेश्याम चौरसिया, अमित चौरसिया, छोटे लाल चौरसिया, रामपाल चौरसिया, शंभू लाल चौरसिया, बैजनाथ चौरसिया, दिनेश चौरसिया, आदित्य चौरसिया, प्रधान आदि सैकड़ो लोगों उपस्थित रहे।