*बच्चों में होता है पूर्वजों का संस्कार*
सिद्धार्थनगर। माता पिता, दादा दादी, नाना नानी द्वारा किए गए धर्माचरण का प्रभाव बच्चों में दिखाई देता है। अर्थात नेक कार्य करने से हमारी आने वाली पीढ़ी तेजस्वी, ओजस्वी होने के साथ धार्मिक भावनाओं से भरी होती है।
उक्त बातें उसका कस्बा में श्रीधाम वृंदावन से पधारे श्रीमदभागवत कथावाचक आचार्य सुमित कृष्ण जी महाराज ने एक मुलाकात में बातचीत में कही। भगवान श्रीकृष्ण की परम भक्त मीरा बाई के जीवन के दृष्टांत का वर्णन करते हुए कहा कि मीरा बाई के घर और ननिहाल में संत की सेवा होती थी।
बचपन में वह अपने परिजन के साथ सत्संग में गई थी और संत से पूछा कि क्या हमे भगवान मिल सकते है। तब संत ने उन्हें प्रभु की महिमा बताई और उन्हें भी ज्ञान हुआ। श्रीधाम वृंदावन भक्ति की प्रेम की भूमि है। जीवन का सार प्रेम में समाहित है। प्रभु की कथा का आयोजन प्रभु की कृपा से ही संभव है।
देश विदेश में भागवत कथा, रामकथा, शिवकथा के माध्यम से धर्म का प्रचार प्रसार और लोगो में भक्ति भावना को जगाने में लगे संतो पर भी प्रकाश डाला। वैसे सभी तीर्थस्थल और धाम दिव्य है लेकिन श्रीधाम वृदावन और अयोध्या की महिमा निराली है। प्रभु के धाम और उनके भक्तो के सानिध्य से कल्याण होता है। वर्तमान में नाम जप की महिमा सर्वोपरि है। काम करते रहे और नाम जपते रहे इससे सौभाग्य बढ़ता जाय।
जिला सवाददाता- मोहम्द अयूब सिद्धार्थनगर।