*वेदों का सार है भागवत पुराण : आचार्य सुमित कृष्ण*
उसका बाजार। भागवत कथा प्रभु श्रीकृष्ण का वांगमय रूप है। इसके श्रवण से जन्म जन्मांतर का पाप नष्ट होकर प्राणी उद्धार हो जाता है। उक्त बातें वृन्दावन से आए भागवत रसिक संत आचार्य सुमित कृष्ण जी महाराज श्रीताओ को कथारस का अमृतपान करवाते हुए व्यक्त किया।
कथा को विस्तार देते हुए कहा कि जन्म जन्मांतर एवं युग युगांतर में जब पुण्य का उदय होता है, तब ऐसा अनुष्ठान होता है। श्रीमद्भागवत कथा एक अमर कथा है। इसे सुनने से पापी भी पाप मुक्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि वेदों का सार भागवतपुराण उसी सनातन ज्ञान की गंगा है, जो वेदों से प्रवाहित होती चली आई है। इसलिए भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा गया है। उन्होंने श्रीमद्भागवत महापुराण का बखान किया।
कहा कि सबसे पहले सुखदेव मुनि ने राजा परीक्षित को भागवत कथा सुनाई थी, उन्हें सात दिनों के अंदर तक्षक के दंश से मृत्यु का श्राप मिला था। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा अमृत पान करने से संपूर्ण पापों का नाश होता है। इस अवसर पर देवेश्वर प्रसाद मिश्र, मनीष कुमार अग्रहरि, संतोष मिश्र, शिखा पाण्डेय ,सोनू अग्रहरि, राजनारायण पाण्डेय, अमित मिश्र, अभिषेक आदि लोग उपस्थित रहे।
जिला सवाददाता- मोहम्द अयूब सिद्धार्थनगर।