*त्याग समर्पण और संघर्ष की प्रतिमूर्ति थी माता रमाबाई अंबेडकर —- संजय गौतम*
शरीर से रक्त निकलने शरीर को मिलता है नया जीवन
माता रमाबाई का संपूर्ण जीवन संघर्षमय रहा। वह साहस के साथ अपने जीवन की कठिनाइयों से संघर्ष करती रहीं।माता रमाबाई संतोष, त्याग, समर्पण सहयोग और सहनशीलता की प्रतिमूर्ति थीं।
उक्त जानकारी अनुसूचित जाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष संजय गौतम ने माता रमाबाई अंबेडकर की जयंती अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि आयोजित कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए दिया। वह बुधवार को बांसी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत अंबेडकर पार्क डढिया में मोर्चा के मंडल अध्यक्ष सरवन गौतम की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉक्टर अंबेडकर और तथागत बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन व माल्यार्पण के साथ किया गया। लोगों ने माता रमाबाई अंबेडकर को याद करते हुए उन्हें भी श्रद्धा सुमन अर्पित किया। इस दौरान अन्य वक्ताओं ने भी माता रमाबाई के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में अखिलेश भारती, मनोज कुमार, मिथलेश उर्फ गप्पू गौतम सहित बडी़ तादाद में अन्य ग्रामीण भी उपस्थित रहे।