रामचरितमानस जलाने वालों पर रासुका उचित ,
*याचिका खारिज*
लखनऊ: हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा है कि रामचरितमानस की प्रतिया फाड़कर जलाया जाना अनुचित है और रासुका के तहत दोषियों पर हुई कार्रवाई उचित है। कोर्ट ने डीएम लखनऊ द्वारा जारी करने वाले आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्र और न्यायमुक्त नरेंद्र कुमार जौहरी की खंडपीठ ने शुक्रवार को देवेंद्र प्रताप यादव व सुरेश सिंह यादव की याचिकाओं पर दिया इनमें दोनों की रासुका के तहत कार्रवाई के आदेशों को चुनौती दी गई थी। इस मामले में सतनाम सिंह लवी ने 19 जनवरी 2023 को स्थानीय पी जी आई थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी ।
आरोप था कि आपराधिक साजिश के तहत सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरितमानस पर की गई अपमानजनक टिप्पणी के समर्थन में और उनकी सह पर देवेंद्र प्रताप यादव व अन्य ने वृंदावन कॉलोनी में रामचरितमानस की प्रतिया फाड़ कर जला दी थी। इससे आक्रोश हो गया था और स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी। पुलिस के रिपोर्ट पर जिलाधिकारी ने रासुका के तहत करवाई किया था।
कोर्ट ने कहा आरोपियों ने अपने सहयोगियों के साथ सार्वजनिक स्थल पर दिन के प्रकाश में समाज के बहुत संख्यक वर्ग द्वारा उनकी धार्मिक मान्यताओं व आस्था के अंतर्गत भगवान राम के जीवन के घटना क्रम से संबंधित धर्म ग्रंथ का जिस प्रकार अपमान किया, उससे समाज में आक्रोश व गुस्से का उत्पन्न होना स्वाभाविक है । ऐसे धार्मिक उन्माद व आक्रोश फैलाने की स्थिति का परिदृश्य में आ सकता है। वर्तमान स्थिति में विशेष कर यहां मोबाइल फोन और सोशल मीडिया से समाज का लगभग प्रत्येक व्यक्ति जुड़ा हुआ है स्वाभाविक प्रतीत होता है।