वर्मी कम्पोस्ट विधि हुआ फ्लॉप; जिम्मेदार अधिकारी कागज का पेट भर हो गए मौन

चन्द्र भूषण उपाध्याय-ब्यूरो सिद्धार्थनगर

*वर्मी कम्पोस्ट विधि हुआ फ्लॉप*
उसका बाजार विकास खण्ड ग्राम पंचायत सोहास सुमाली,सोहास खास, सोहास जनूबी, सोहास दरमियानी के अलावा कई ग्राम पंचायतों में बने वर्मी व नाडेप विधि के गड्ढों का कोई पुरसाहाल नहीं है।किसानों के लिए अति महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक योजना यह है।जिससे किसान कम लागत में ज्यादा कम्पोस्ट खाद तैयार करके खेतों में डालें।जिससे भूमि की उर्बरा शक्ति बढ़ने के साथ साथ फ़सलों को नवजीवन मिल सके।लेकिन जिम्मेदारों के लापरवाही के चलते सिर्फ कागज का पेट भरपूर भरा गया।


कृषि विभाग द्वारा सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना में से एक वर्मी विधि व नाडेप विधि से कम्पोस्ट खाद तैयार करने के लिए नायाब तरीका है।लेकिन न तो वर्मी विधि और न ही नाडेप विधि से कम्पोस्ट खाद बन पाया।यह खाद बनाने वाली स्कीम धरातल पर नहीं उतर सका।इसका मुख्य वजह जिम्मेदारों की लापरवाही और उदाशीनता है।क्योंकि वर्मी विधि व नाडेप विधि के गड्ढे को बनवाने के लिए सरकारी अनुदान दिया गया।

जिसमें सरकार द्वारा गड्ढा बनाया जाता है साथ ही साथ वर्मी कम्पोस्ट के लिए वर्म ( केंचुए)भी दिया जाता है।लेकिन ऐसा नहीं हुआ।नाडेप विधि से कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए किसानों के खेतों के अपविष्ट, शाक सब्जी के छिलके,पुआल आदि को गड्ढे में भरकर हल्की पानी डाल कर उसको मिट्टी से लेपन कर के कुछ दिनों के लिए छोड़ दिया जाता है।उसके बाद वह अपविष्ट सड़कर खाद बन जाता है।लेकिन ऐसा कभी हुआ नहीं! सिर्फ गड्ढा बना कर उसी का फोटो भेज कर सरकारी कोरम पूरा कर दिया गया।यह स्कीम धरातल नहीं पहुंची।


पूर्वांचल बुलेटिन निष्पक्ष खबर
ब्यूरो रिपोर्ट- चन्द्र भूषण उपाध्याय सिद्धांर्थ नगर

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