2047 तक भारत को विकसित देश बनाना है: सातवें दीक्षांत समारोह पर सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में बोली कुलाधिपति/यूपी राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल

पूर्वांचल बुलेटिन निष्पक्ष खबर अब तक सिद्धार्थ नगर-चन्द्रभूषण उपाध्याय ब्यूरो

2047 तक भारत को विकसित देश बनाना है:आनंदी बेन पटेल
सिद्धार्थ विश्व विद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह में कुलपति ने 46 छात्र/छात्राओ में वितरण किया गोल्ड मेडल
राज्यपाल के हाथों गोल्ड मेडल पाकर खिल उठे मेधावी छात्र/छात्राओ के चेहरे
गोल्ड मेडल पाने वालो में बेटो की तुलना में बेटियां रही काफी आगे



सिद्धार्थ नगर।
सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थ नगर के सातवें दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति/राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 46 मेधावी छात्र/छात्राओ में गोल्ड मेडल वितरण किया, जबकि शोध करने वाले 7 शो को उपाधि की डिग्री प्रदान किया गया।राज्यपाल के हाथों गोल्ड मेडल पाकर छात्र/छात्राओ के चेहरे खिल उठे।


सिद्धार्थ विश्व विद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह की शुरुवात विद्वत परियात्रा के साथ की गई,तत्पश्चात बंदे मातरम का गायन किया गया तथा मुख्य अतिथि गुजरात विश्व विद्यालय के कुलपति एव उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित कर दीक्षांत समारोह की विधिवत शुरुवात किया गया।


कुलाधिपति से अनुमति लेने के उपरांत कुलपति हरि बहादुर श्रीवास्तव ने गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले मेधावी छात्र/छात्राओ को दीक्षा दिया।इस दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा पूर्व माध्यामिक विद्यालय बर्डपुर व बूड़ा के बच्चो में बैग,पुतस्क व फल वितरण किया गया तथा आगनवाड़ी कार्यकत्रियो में केंद्र पर आने वाले बच्चो के लिए खिलौना व साइकिल वितरण किया।
इस अवसर पर उपस्थित लोगो को सबोधित करती हुई ।

कुलाधिपति/राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि इस बार गोल्ड मेडल प्राप्त करने में बेटियां काफी आगे रही।46 छात्र /छात्राओ में से मात्र 18 गोल्ड मेडल छात्र को तथा 28 गोल्ड मेडल छात्राओ के खाते में गया। उन्होंने गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले सभी मेधावी छात्र/छात्राओ को बधाई देते हुए कहा कि यह बुद्ध की पावन धरती है। मैं इस धरती को प्रणाम करती हूॅ। यहां पर गौतम बुद्ध ने विश्व को शान्ति का सन्देश दिया। यह भूमि देश-विदेश केे लोगो का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रही है। आज सप्तम दीक्षान्त समारोह के अवसर पर स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले छात्र/छात्राओ को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आप लोग शिक्षा प्राप्त कर अपने विद्यालय का नाम रोशन करे। आप लोग शिक्षा प्राप्त कर समाज में परिवर्तन ला सकते है।

आप लोग अपने माता पिता से प्रेरणा लेकर समाज को आगे बढ़ाने का काम करे। माता पिता की सेवा करनी चाहिए। रात दिन मेहनत करके माता-पिता हमे शिक्षा दिलाते है। हमारा भी दायित्व है कि हम अनन्तकाल तक उनकी सेवा करे। आज दहेज प्रथा हमारे समाज में एक अभिशाप है। दहेज के लिए बहुओ के साथ मारपीट करते है। हमे दहेज नही लेना चाहिए। अपनी बहुओ का सम्मान करना चाहिए। नई शिक्षा नीति 2022 लागू होने के बाद से पहली बार डिग्री आनलाइन की गयी है। शिक्षा को आधुनिक बनाया जा रहा है।

विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को बनाये रखना चाहिए। वर्ष 2022 में शिक्षा प्राप्त कर चुके छात्र/छात्राओ जिनको नौकरी प्राप्त हुई है उनको बधाई दी। कहा कि आज हमारे देश में नये आईआईटी, आईआईएम का निर्माण हो रहा है। सरकार द्वारा अभूतपूर्व कार्य कर बिगत 10 वर्षो में शिक्षा के स्तर को बढ़ाया गया है। आज नये भारत का निर्माण हो रहा है। आज का युवा देश का भविष्य है। हमारे देश में युवाओ की कमी नही है। आज युवा शक्ति पर भरोसा है। आप लोग देश को आगे बढ़ाने में सहयोग करे और भारत को वर्ष 2047 तक विकसित देश बनाना है।सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरि बहादुर श्रीवास्तव ने राज्यपाल को फल व पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया।सिद्धार्थ विश्व विद्यालय का सातवा दीक्षांत समारोह सकुशल संपन्न कराने के लिएं राज्यपाल ने कुलपति प्रो. हरि बहादुर श्रीवास्तव व विश्व विद्यालय परिवार को बधाई दिया।

इस अवसर पर कुल सचिव डा अमरेद्र कुमार सिंह, उप कुल सचिव दीना नाथ यादव,वित अधिकारी अजय कुमार सोनकर,मुख्य नियंता दीपक बाबू, डीन प्रो.हरीश कुमार शर्मा,मुख्य नियंता प्रो.सुशील तिवारी, प्रो.मंजू दिवेदी, डा.सतेंद्र कुमार दूबे, डा.नीता यादव, डा.सुनीता त्रिपाठी, डा.विशाल गुप्ता, डा.सरदेंद्दु त्रिपाठी,डा.अब्दुल हाफिज, डा कपिल गुप्ता,डा.अविनाश प्रताप सिंह, डा.जय सिंह यादव, डा.धर्मेंद्र वर्मा, डा.रवि कांत शुक्ल, डा.प्रगेश नाथ त्रिपाठी सांसद जगदंबिकापाल,पूर्व विधानसभा अध्यक्ष/इटवा के विधायक माता प्रसाद पाण्डेय,पूर्व मंत्री डा.सतीश दिवेदी,भाजपा जिलाध्यक्ष कन्हैया पासवान,एसपी अग्रवाल,मनीष श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे।कार्य क्रम का संचालन प्रो.शिवम शुक्ल ने किया।

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