यूपी महराजगंज:पीएम आवास के पात्र को अपात्र घोषित कर आवास से बंचित करने वाले जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई क्यो नही?:प्रधानो का पावर सीज तो साहब का सचिवो पर रहम क्यो? प्रधान दोषी तो सचिव निर्दोष कैसे?जनपद में बना बड़ा चर्चा

गजेंद्र नाथ पांडेय-हेड-पूर्वाचल बुलेटिन निष्पक्ष खबर अब तक

यूपी केमहराजगंज जनपद में पीएम आवास के पात्र लाभार्थियों को ब्लाक के कुछ जिम्मेदार अधिकारी से लेकर जिले तक के जिम्मेदार अधिकारी पीएम आवास से बंचित तो कर ही दिया था ।यंहा तक की जनरेट आईडी भी डिलीट कर दिया।जिससे गरीब पात्र को पीएम आवास न मिले।जिसकी सिकायत पीएम आवास के लाभार्थियों ने ब्लाक मुख्यालय से लेकर जिले उच्चाधिकारियों तक को दिया था ।लेकिन जिले उच्चाधिकारियों के रहमो करम के कारण पीएम आवास से बंचित करने वाले लापरवाह कर्मचारियों पर कार्रवाई नही की गई।जिसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

मामला अब धीरे धीरे तूल पकड़ रहा है जब एक तरफा जनपद में प्रधान का पावर सीज कर दिया गया है । चूंकि पीएम आवास का बजट लाभार्थी के खाते सचिव के भी हस्ताक्षर से आया है । ऐसे में अगर ग्राम पंचायत का प्रधान दोषी है तो सचिव कैसे निर्दोष है ।जिस पर साहब का रहमो करम है सिर्फ प्रधान का पावरसीज कर सचिव को निर्दोष साबित कर दिए है ।जिसका चर्चा जनपद के ब्लाक मुख्यालय पर चल रहा है ।यंहा तक की प्रधान संघ मामले को लेकर विधायक से लेकर यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ तक लेकर जाने की तैयारी कर रहा है।

प्रधानों के पावरसीज तो सचिवों पर रहम क्यों?
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत अपात्रों का आवास देने के मामले में एक साथ छह गांवों के प्रधानों का पॉवर सीज होने से जिले में हड़कंप मच गया है। इन गांवों में शिकायत के बाद हुई जांच के बाद जब डीएम ने स्पष्टीकरण तलब किया तो प्रधानों की ओर से असंतोषजनक जवाब मिला। स्पष्टीकरण में कुछ प्रधानों ने जांच अधिकारी की कार्रवाई को ही गैर कानूनी ठहराया था। इन जवाबों व फाइलों का परीक्षण करने के बाद प्रशासन का डंडा चला और एक साथ छह प्रधानों का पॉवर सीज कर दिया गया। वहीं सचिवों पर साहब लोग क्यों मेहरबान है कि रहम दिखाते हुए इन्हें कारवांई से बाहर रखा गया है। जबकि ग्राम प्रधान व ग्राम सचिवों का चोली-दामन का साथ होता है। वहीं प्रधानों पर कारवाई सचिवों पर नरमी आमजन के समझ से परे है।

https://youtu.be/DaGyB1AmF5U?feature=shared

पहला मामला बृजमनगंज ब्लाक के बेलौही गांव का है। इस गांव में 35 आवासों की हुई जांच में 17 लोग अपात्र मिले हैं। इसमें उर्मिला नाम की महिला के खाते में पहली किस्त की धनराशि भेज दिया गया। परीक्षण के बाद प्रधान के दोष सिद्ध होने पर डीएम ने प्रधान मनोज कुमार के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार सीज करते हुए डीआईओएस को जांच अधिकारी नामित किया है।

https://youtu.be/woltXD6iU3g?feature=shared

दूसरा मामला लक्ष्मीपुर ब्लाक के सिंहपुर कला गांव का है। इस गांव में 38 आवास आए थे, जिसमें 11 आवासों की जांच हुई। इसमें चार लोग अपात्र मिल गए। प्रधान सेक्रेटरी ने चारों के खाते में पहली किस्त की धनराशि भी भिजवा दी। प्रधान का तर्क था कि मामला पकड़ में आने के बाद प्रधान ने धनराशि की रिकवरी करा दिया। प्रधान के दोषी मिलने पर डीएम ने प्रधान विजय लक्ष्मी का वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार सीज करते हुए डीआईओएस को जांच अधिकारी नामित किया है।



तीसरा मामला लक्ष्मीपुर ब्लाक के बरदगवाविशुनपुर गांव का है। इस गांव में 130 आवास आया था, जिसमें 26 आवासों की जांच हुई। इसमें 10 लोग अपात्र मिले प्रधान, सेक्रेटरी ने दो लोगों के खाते में पहली किस्त की धनराशि भी भिजवा दिया। प्रधान पर आरोप सिद्ध होने के बाद डीएम ने प्रधान रवीश कुमार का भी वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार समाप्त करते हुए जिला दिव्यांग व सशक्तिकरण अधिकारी को जांच अधिकारी नामित किया है



चौथा मामला लक्ष्मीपुर ब्लाक के ही सोंधी लक्ष्मीपुर गांव का है। इस गांव के 14 आवासों की जांच कई गई, जिसमें पांच लोग अपात्र मिले हैं। कइयों को पहली किस्त भिजवा भी दी गई। प्रधान ने तो अपने स्पष्टीकरण में जांच अधिकारी की जांच को ही गैर कानूनी बताया, लेकिन परीक्षण में प्रधान पर आरोप सिद्ध हो गया। इस पर डीएम ने प्रधान अरुण कुमार का भी वित्तीय और प्रशासनिक पावर समाप्त करते हुए डीडीएजी को जांच अधिकारी नामित किया है। पांचवां मामला लक्ष्मीपुर ब्लाक के हीजंगल गुलरिहा का है। इस गांव में 13 लाभार्थियों की जांच की गई तो सभी अपात्र मिले। यहां नाम बदल कर भी योजना का लाभ लिया गया मिला। इस गांव के भी प्रधान ने भी जांच अधिकारी की जांच को गैर कानूनी बताते हुए स्पष्टीकरण दिया था। लेकिन परीक्षण में प्रधान दोषी पाए गए। इसके बाद डीएम ने प्रधान प्रमिला का भी वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार समाप्त कर दिया है
छठां मामला लक्ष्मीपुर ब्लाक के ही राजमंदिर गांव का है। इस गांव में भारी संख्या में अपात्रों को लाभ दिए जाने का मामला पकड़ में आया। पक्का मकान वालों, ट्रैक्टर ट्राली वालों को भी आवास का लाभ दिया गया । आवास के नाम पर पैसा वसूल किए जाने का भी मामला आया। प्रधान पर आरोप सिद्ध होने के बाद डीएम ने प्रधान बजरंगी जायसवाल का भी वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार समाप्त कर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को जांच अधिकारी नामित किया है।

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