डमरुआ जंगल में खड़ंजे पर बह रही विकास की गंगा
पूर्वांचल बुलेटिन निष्पक्ष खबर
ब्यूरो रिपोर्ट सिद्धार्थ शुक्ला बस्ती
बस्ती। जनपद के विकासखंड गौर के अंतर्गत ग्राम पंचायत डमरूआ जंगल में विकास की गंगा इस तरह बह रही है कि जैसे पंचायती राज व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है?
आपको बताते चलें कि जहां एक और सूबे की योगी सरकार ग्रामीण हित में तमाम प्रकार के कल्याणकारी योजनाएं लाकर के ग्रामीणों को हर संभव सुविधा मुहैया कराने का काम कर रही है तो वही ग्राम प्रधान व पंचायत सचिव तथा रोजगार सेवक की मिलीभगत से जनता का पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है। ग्राम पंचायत डमरुआ जंगल में यदि सड़क नाली खड़ंजा की बात की जाए तो धनंजय पर बरसात का पानी संक्रामक रोग एवं गंभीर बीमारियों को दावत देने का काम कर रहा है।
दूसरी और प्रदेश सरकार की मंशा है कि संक्रामक रोग पकवाड़ा चला कर के संचारी रोगों पर लगाम लगाए जाने का प्रयास किया जा रहा है। यदि बात मनरेगा की जाए तो बीते 9 जुलाई को रोजगार सेवक एवं पंचायत सचिव की मिलीभगत से हंसराज के घर के समीप पोखरे में खुदाई कार्य हेतु 1 मस्टररोल में 67 मनरेगा मजदूरों की मजदूरी लगाकर मनरेगा एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा है ।
जबकि यह स्पष्ट है कि 9 जुलाई को तालाब में पूरी तरीके से पानी भरा हुआ था। सोचने की बात यह है जब तालाब में पानी भरा हुआ है तो फिर खुदाई कार्य कैसे हो रहा है। ग्राम पंचायत में यदि सड़कों की बात की जाए तो बरसात का पानी इस तरीके से सड़कों पर भरा हुआ है जिससे पंचायती राज व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है।
पूरे मामले के क्रम में खंड विकास अधिकारी गौर से जब मामले की जानकारी चाही तो उन्होंने कहा 9 जुलाई को जारी मस्टरोल को जीरो करने के लिए निर्देशित किया गया एवं सड़कों पर भरे हुए पानी के क्रम में रोस्टर के अनुरूप सफाई कर्मचारी के द्वारा पानी के निकास की व्यवस्था कराए जाने की बात कही गई।