गंगा सो नहीं पाती
दुखी तो बहुत है मगर रो नहीं पाती -पवन खेड़ा -काग्रेस नेता का मौलिक रचना समेत वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल देखे-गजेंद्र नाथ पांडेय

गंगा सो नहीं पाती
दुखी तो बहुत है मगर रो नहीं पाती।

आह बिल्किस की हो या बिनेश की
लाश अख़लाक़ की या कमलेश की।

लगती है जब बच्चे को चोट
दर्द माँ के दिल को होता है।
तुम्हें सुनाई क्यूँ नहीं देता?
गंगा का कतरा कतरा रोता है।

लाशों का अंबार भी देखा
धर्मों का व्यापार भी देखा
आधा अधूरा प्यार भी देखा
आग, राख, अंगार भी देखा

भीतर लाखों भँवर छिपाए
करतल करती बहती है।
गंगा तेरा मन विशाल है
क्या क्या सहती रहती है।

आज तेरे दरवाज़े पर
तेरी बेटियाँ आई थीं
न्याय तू शायद ना दे पाए
गंगा तू गवाही देना
काल की कलम को तू
आंसुओं की स्याही देना।

माँ तू थक गई है
आज थोड़ा सो लेना।
कितना दुख समेटेगी इस आँचल में
आज थोड़ा रो लेना।

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