लक्ष्मीपुर ब्लॉक मच्छरों ने किया नाक में दम, “जिम्मेदार मौन”
लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी ग्रामीणों को मच्छरों से नही मिल रही निजात प्रधान व सचिव काट रहे मलाई
गर्मी शुरू होते ही मच्छरों का आतंक भी तापमान बढ़ने के साथ ही बढ़ता चला जा रहा है। मच्छर ही तो हैं जो इंसान को ठीक से न तो सोने देते हैं, न ही आराम से बैठ कर कोई काम ही करने देते हैं। इधर दो दशक से मच्छरों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। पहले इनका आतंक शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित था।
किंतु अब तो गांव की आबादी पर भी इनका कब्जा हो गया है। इनसे तंग लोगों ने जब इन्हें मारने की तरकीब निकाली, तो मच्छर भी इनसे पीछे नहीं रहे। पहले इनके शिकार लोग मलेरिया की चपेट में आते थे। और अब वह डेंगू रूप में भी बीमारी फैला कर इंसानों की जान ले रहे हैं। मजबूरन लोगों को अपने घर में या कार्यालय में मॉस्किटो रिप्लांट, मॉस्किटो क्वायल व लोशन आदि का प्रयोग करना पड़ता है। जो काफी हद तक हानिकारक हैं। लक्ष्मीपुर ब्लॉक के 96 ग्राम पंचायतों की बजबजाती नालियों से पैदा होने वाले ये मच्छर अब क्वायल व अन्य स्प्रे से भी जल्द खत्म नहीं हो रहे हैं। जब तक आसपास इन दवाओं खानापूर्ति का असर रहता है। तब तक ये दूर हो जाते हैं। इन दवाओं का असर खत्म होते ही मच्छर फिर इंसान के आसपास विचरण करने करने लगते हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत सुबह व शाम को होती है। हालत यह है कि जहां आप बैठे मच्छर आपके शरीर से खून चूसना शुरू कर देते हैं। विभिन्न बीमारियों को जन्म देने वाले, सभी की नींद छीन लेने वाले मच्छरों की संख्या में भी पहले से कहीं ज्यादा इजाफा हुआ है। शहर से लेकर गांव तक के हालात पर गौर करें तो शहरों की अपेक्षा अभी भी मच्छरों की संख्या गांवों में अधिक हैं। कब मच्छर मुक्त होगा गांव लक्ष्मीपुर ब्लॉक में चाहे कोई ग्राम पंचायत हो, थाना या फिर कार्यालय हो, हर जगह की आबादी इन मच्छरों त्रस्त है। इस मामले में सभी को चुप रहने की विवशता इसलिए है कि मच्छरों से पूरी तरह निजात दिलाने के लिए सरकार की ओर से ब्लॉक अधिकारी व कर्मचारी या ग्राम प्रधानों की ओर भी कोई बेहतर इंतजाम नहीं किया जाता नतीजन भारी संख्या में मच्छर हर जगह हावी हैं।