कालेज से गायब छात्र साढ़े ग्यारह बर्ष बाद लौटा घर
— बेटे को देख पिता समेत परिजनो के आंखों से छलक गए आंशू
गजेन्द्र नाथ पांडेय
पूर्वांचल बुलेटिन
महराजगंज जनपद के एक गांव का स्कूल से गायब छात्र साढ ग्यारह साल बाद अपने पैतृक गांव पंहुचा तो उसे देखकर पिता समेत परिजनो के आंखों से खुशी के आंशू छलक पड़े। कालेज से गायब बेटे ने जब आपबीती सुनाई परिजनो को तो हत्प्रभ रह गए।
जनपद के लक्ष्मीपुर ब्लाक के गांव कजरी निवासी मुरतध्वज चौरसिया गोरखपुर रेलवे में प्राइवेट चौकदार के रुप में कार्य करता था।साथ में लड़के संतोष चौरसिया को साथ में रखकर पढ़ाता लिखाता था। संतोष चौरसिया कक्षा 9 का छात्र था।जो जुबली इंटर कॉलेज गोरखपुर में पढ़ रहा था। संतोष चौरसिया के अनुसार वर्ष 2008में कालेज जाते समय रास्ते में नशीला पदार्थ सुंघाकर कर अपने साथ लेकर चला गया।कुछ दिन के बाद जब होश आया तो संतोष ने बताया कि हम किसी फैक्ट्री में कैद है। जहां हमें लोग टॉर्चर करते थे। सन्तोष चौरसिया के शरीर पर कई जगह मारने पीटने की निशान है ।संतोष ने बताया कि हर 3 साल में लोकेशन बदल देते थे ।11 साल 4 महीना 13 दिन के बाद भी कभी हम सूरज का दर्शन नहीं किए। जिस फैक्ट्री में हमें काम कराया जाता था ,3 साल बाद लोकेशन बदल दिया जाता था । हमारे पास भी आठ से 10 मजदूर लड़के काम करते थे ।शुक्र है उस ड्राइवर की जो हमें गत्ते में पैक करके सिलीगुड़ी आसाम तक ले आया उसके बाद गत्ते को फाड़ कर बाहर निकाला और कहा कि हम सब अब सुरक्षित है । और हम सब अपने प्रदेश को चल जाएंगे। ड्राइवर ने संतोष चौरसिया को लखनऊ तक लेकर आया । लखनऊ से ट्रेन से में बैठाने के बाद कहा कि अब गोरखपुर चले जाओ। बुधवार को सांय वह अपने पैतृक गांव कजरी पंहुचा तो उसे देखकर पिता समेत परिजनो के आंखों से आंशू छलक पड़े। संतोष का घर पंहचने की जानकारी होते ही गांव लोगों समेत रिश्तेदार भी देखने के लिए घर पर आ रहे हैं।मुरतध्वज चौरसिया बताते हैं कि बेटे के गायब होने की तहरीर कैंट थाना गोरखपुर में देने के साथ ही उच्चाधिकारी को भी सूचना दिया था। लेकिन पता नहीं चल सका था।सन्तोष चौरसिया अपने पिता का अकेला संतान था। रेलवे में वह रोज के बेस पर चौकीदार का काम करता था । 5 वर्ष के उम्र में उसके मां की मृत्यु हो गई थी ।इस लिए वह अपने पिता के ही साथ रह कर पढ़ाई करता था। खोजबीन करने के बाद जब नहीं मिला तो रिश्तेदार और गांव के लोगों के कहने पर मूरतध्वज ने अपनी शादी दूसरी रचा ली ।जिसके दो संतान हैं। पहले लड़की का नाम सावित्री 7 वर्ष दूसरे का नाम भोला उर्फ कन्हैया 4 वर्ष है ।जब कि 11 साल 4 महीने 13 दिन बाद बिछड़ा पुत्र पैतृक गांव कजरी पंहुचा तो पिता और पूरे परिवार देखते ही फफक फफक कर रोने लगे और पुत्र को पाकर खुशी से झूम उठे पिता समेत परिजन ।