पूर्वांचल का मिनी बाबा धाम इटहिया शिव मंदिर के शिवलिंग पर सावन मांस में जलाभिषेक नहीं कर पाएंगे शिवभक्त

पूर्वांचल का मिनी बाबा धाम इटहिया शिव मंदिर के शिवलिंग पर सावन मांस में जलाभिषेक नहीं कर पाएंगे शिवभक्त

पूर्वांचल बुलेटिन
अर्जुन जायसवाल
पुरंदरपुर महराजगंज संवाददाता

नंदिनी गाय ने झाड़ियों के बीच चढ़ाया दूध तो निकला था पंचमुखी शिवलिंग, इस राजा से जुड़ा है इसका इतिहास

सावन माह में महाकाल पर भारी पड़ रहा कोरोना काल

महराजगंज जनपद के निचलौल उपजिलाधिकारी अभय कुमार गुप्ता का आदेश, नेपाल राष्ट्र से सटे इटहिया मिनी बाबा धाम पर लगाने वाला सावन माह मेला इस वर्ष स्थगित कर दिया गया है।   क्षेत्रीय जनता बुद्धजीवियों एवं आस पास के ग्राम प्रधानों की मांग पर कोरोना काल (कोविड-19) के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए। मिनी बाबा धाम पर लगने वाला मेला एवं अन्य किसी धार्मिक अनुष्ठान पर रुक लगा दिया गया हैं। इस सम्बंध में 

उपजिलाधिकारी निचलौल का कहना है। कि पूर्व की भांति इटहिया शिव मंदिर पर इस वर्ष कोरोना महामारी को दृष्टिगत रखते हुए। सावन माह के शिव मंदिर पर लगाने वाला मेला को स्थगित कर दिया गया हैं।

*जाने पूर्वांचल के इटहिया मिनी बाबा धाम की कथा—*

पूर्वांचल के मिनी बाबा धाम के नाम से विख्यात प्रसिद्ध शिव मंदिर इटहिया के पंचमुखी शिवलिंग के इतिहास के संबंध में पुराणों में कोई उल्लेख नहीं मिलता है। लेकिन जनश्रुतियों के अनुसार इस पंचमुखी शिवलिंग के प्रादुर्भाव की कहानी निचलौल स्टेट के राजा बृषमसेन के साथ जुड़ी हुई है। महराजगंज जनपद के मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर नेपाल राष्ट्र से सटे इटहिया शिव मंदिर जो मिनी बाबा धाम के नाम से विख्यात है। यहां दर्शन के लिए नेपाल, बिहार समेत अन्य स्थानों से लोग आते हैं। पंचमुखी शिवलिंग के इतिहास के संबंध में मंदिर के मुख्य पुजारी ध्यान गिरी बताते हैं। कि इस पंचमुखी शिवलिंग के प्रादुर्भाव की कहानी महराजगंज जनपद निचलौल के राजा बृषभसेन से जुड़ी हैं। राजा बृषभसेन प्रतापी प्रजावत्सल न्याय प्रिय राजा थे। वह भगवान शंकर के अनन्य भक्त थे। उनके गौशाला में एक नंदिनी नाम की गाय थी जिसे राजा बहुत मानते थे। राजा बृषभसेन की मृत्यु के बाद उनके पुत्र रत्नसेन निचलौल के राजा हुए तथा अपने पिता की तरह अपनी पत्नी स्वर्ण रेखा के साथ प्रति दिन पंचमुखी शिवलिंग की पूजा अर्चना किया करते थे। राजा रत्नसेन के शासनकाल में एक दिन कुछ चोर रात्रि में चोरी के उद्देश्य से राज्य में प्रवेश कर रहे थे। जब वे पंचमुखी शिव मंदिर के सामने पहुंचे तो मंदिर के अंदर से आवाज आई गांव वालों जागो चोर चोरी करने गांव में आ गए हैं। इससे गांव के लोग जग गए और चोर भाग गए। मंदिर से सटे डुमरी निवासी पंडित अनिरुद्ध तिवारी व मुन्ना गिरी बताते हैं कि जिस आम के जड़ से पंचमुखी भगवान शिव का प्रादुर्भाव हुआ है। वह अपने आप में एक अनोखा वृक्ष था। बुजुर्गो के अनुसार एक बार एक बंदर उस आम के पेड़ पर चढ़ गया परंतु बहुत प्रयास के बाद भी नीचे नहीं उतर सका। भूख प्यास से उसकी मृत्यु हो गई। जहां बंदर मरा था। वहां हनुमान मंदिर बनाया गया है। आम का वृक्ष गिर जाने के बाद पंचमुखी शिवलिंग पर गड़ौरा निवासी स्वर्गीय चंद्रशेखर मिश्र ने 1968-69 में मंदिर का निर्माण कराया।

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