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*प्रभु श्रीराम के बाल लीलाओं का वर्णन किया
शोहरतगढ़ के नीबी दोहनी में श्रीराम लला प्राण-प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा महायज्ञ में कथा वाचक राष्ट्रीय संत मारुति नंदनजी महाराज ने श्री राम के नामकरण के बाद प्रभु श्रीराम के मनोहर बाल रूप का वर्णन किया।मारुति नंदन जी महाराज ने बताया कि प्रभु श्रीरामचन्द्र ने बाल क्रीड़ा के रूप में समस्त नगर वासियों को सुख दिया।
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श्री राम चन्द्र जी को कौशल्या ने कभी उन्हें गोद में लेकर हिलाती-डुलाती और कभी पालने में लिटाकर झुलाती थीं।प्रभु श्रीराम की बाल लीला का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि एक बार माता कौशल्या ने श्री राम लला को स्नान कराया और श्रृंगार करके पालने पर पौढ़ा दिया। फिर अपने इष्टदेव श्री रंगनाथ भगवान की पूजा के लिए स्नान किया। पूजा करके नैवेद्य चढ़ाया और स्वयं वहां गयी जहां रसोई बनाई गई थी।
फिर माता पूजा के स्थान पर लौट आई और वहां आने पर पुत्र को भोजन करते देखा। माता कौशल्या भयभीत होकर पुत्र के पास गई तो वहां पुत्र को सोया हुआ देखा। फिर देखा कि वही पुत्र वहां भोजन कर रहा है। माता कौशल्या के हृदय में कंपन होने लगा। वह सोचने लगी कि यहां और वहां मैंने दो बालक देखे। यह मेरी बुद्धि का भ्रम है या और कोई विशेष कारण है।
प्रभु श्री रामचन्द्रजी माता कौशल्या को घबराया हुआ देखकर मधुर मुस्कान से हंस दिए फिर उन्होंने माता को अपना अखंड अद्भूत विराट रूप दिखलाया। जिसके एक -एक रोम में करोड़ों ब्रह्माण्ड लगे हुए हैं मुख से वचन नहीं निकलता।तब आँखें मूंदकर उसने श्रीरामचन्द्रजी के चरणों में सिर नवाया।
माता को आश्चर्यचकित देखकर श्री राम चन्द्र ने फिर बाल रूप हो गए। इस दौरान राममिलन त्रिपाठी,अमित त्रिपाठी, मदनमोहन पांडेय, रोहिणी त्रिपाठी, शिवा त्रिपाठी, विमल राय, रविन्द्र वर्मा शुभम वर्मा, स्वाति,हिमांशु त्रिपाठी आदि लोग मौजूद रहे।
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जिला सवाददाता- मोहम्द अयूब सिद्धार्थनगर।