कविता समाज का आईना होता है-सुनीता गुप्ता-
चौरी चौरा शहीद स्थल पर शहीदों के सम्मान में देर रात तक सजी रही कविता और शायरी की महफिल ;चौरी चौरा के शहीदों को शत शत नमन हमारा है- मिन्नत गोरखपुरी
उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी (उ0प्र0 शासन) के चेयरमैन चौधरी कैफुलवरा के निर्देश पर उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी एवं साहित्य एजुकेशनल सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में आजादी के 75 वीं वर्षगांठ अमृत महोत्सव के अवसर पर चौरी चौरा शताब्दी वर्ष के अंतर्गत चौरी चौरा शहीद स्थल सभागार में मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ।
राकेश श्रीवास्तव, डॉक्टर सौरभ पांडेय,ईश्वर चंद्र जायसवाल ,श्रीमती सुनीता गुप्ता, ज्योति प्रकाश गुप्ता, अजय सिंह उर्फ टप्पू, जितेंद्र यादव ने संयुक्त रुप से दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राकेश श्रीवास्तव सदस्य संगीत नाटक एकेडमी उत्तर प्रदेश ने कहा कि मुशायरा एवं कवि सम्मेलन आपकी पुरानी परंपराओं से आपको परिचित कराते हैं। मुख्य अतिथि सौहार्द शिरोमणि डॉक्टर सौरभ पांडेय ने कहा शायरी की जुबान सिर्फ मोहब्बत की जुबान होती है उर्दू हिन्दी नहीं होती।
विशिष्ट ज्योति प्रकाश गुप्ता ने कहा कि चौरीचौरा की धरती शहीदों और वीरों की धरती है इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन से आपसी सद्भावना और मोहब्बत आपस में बढ़ेगी।
विशिष्ट अतिथि डॉक्टर सत्या पांडेय ने कहा उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी की इस पहल की सराहना की जानी चाहिए जो मोहब्बतों को और देश प्रेम को लोगों में आम कर रहा है।
कार्यक्रम के सरपरस्त जलाल सिद्दीकी ने बताया कि इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन आपसी सद्भावना को बढ़ाना है।
कार्यक्रम का संचालन रेहान जिगर ने किया।
नासिर फराज ने पढ़ा_
यही है मेरा हिंदुस्तान यही है मेरा हिंदुस्तान,
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब उसकी संतान यही है मेरा हिंदुस्तान।।
पंडित भूषण त्यागी ने पढ़ा_
हम जवान हैं शहादतों का है जज्बा।
हमें तो चीन की अंगड़ाईया बुलाती हैं।।
अख्तर आजमी ने पढ़ा_
दिया जब हम ने अलल ईएलान
वोचौरी – चौरा का बलिदान
तो पिंजरा तोड़ चले हम।
चले बोस अशफाकुल्ला खान
भगत,आज़ाद,हमीद,उस्मान ।।
वसीम रामपुरी ने पढ़ा_
कुछ ऐसे फैले तिरंगे के रंग चारों तरफ।
कि सारी दुनिया ही हिंदुस्तान हो जाए।।
तनवीर जलालपुरी ने पढ़ा_
हर जबां पर बस एक ही नारा है।
मेरा हिंदुस्तान जिंदाबाद।।
डॉ मनोज कुमार गौतम “मनु” ने पढ़ा_
ना मार्केट ना हॉट ना बाजार की बातें करता हूं,
मैं संस्कृति और तीज त्यौहार की बातें करता हूं ।।
भावना द्विवेदी ने पढ़ा _
वो तेरा छोड़ के जाना मुझे अब याद नहीं है।
लौट के देख ले दुनिया मेरी बर्बाद नहीं है।।