मनरेगा योजना! निगरानी के अभाव में देखें भारी मनमानी-मौके के जिम्मेदार खाते हैं मलाई,रहते मौन

*निगरानी के अभाव में सरेआम मनमानी*
व्यूरो रिपोर्ट -कृपाशकर उपाध्याय बस्ती
  बस्ती। रूधौली ब्लाक में कहीं न कहीं विभाग के लापरवाही के कारण सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है। योगी सरकार के जीरो टॉलरेंस नीति को धराशाई करने में रूधौली ब्लाक के ग्राम पंचायत भुसरी कर रहा है।एक तरफ पंचायती विभाग ईमानदारी के साथ विकास का ढिंढोरा पीट रहा है । जबकि ग्राम पंचायत में धरातल पर विकास जीरो है। ग्राम पंचायत विकास के नाम पर केवल लूट खसोट धड़ल्ले से जारी है।भ्रष्टाचार में शामिल बिभाग के ताल मेल से ग्राम प्रधान दोनों हाथों से लूटने में लगे हैं क्योंकि प्रधान जी को मालूम है।कि जांच होगी तो जेल उसको जाना पड़ेगा जिसकी साइन मोहर लगती है। खड़ाऊं प्रधान ईमानदारी का चोला पहनकर भ्रष्टाचार को खुली चुनौती देकर सरकारी धन को लूट रहे हैं।

क्यों कि चुनाव सिर्फ एक साल बचा है। और प्रधान जी को कैसे प्रधान बनना है। यह सब प्रधान जी को प्रधान बनने के लिए सब मालूम है  आपको बताते चलें।जब विभाग से जानकारी करना चाहा तो विभाग ने फोन रिसीव करना वाजिब नहीं समझा। अगर किसी तरह बात भी हो जाए तो बिभागिये लोग मामले को ठंडे बस्ते में डाल देते हैं। अभी ताजा मामला भुसरी का है यहां मनरेगा मजदूरों कि हाजिरी 234 लगी है। लेकिन यह हाजिरी केवल कागज में लगा है। वास्तव में जमीनी हकीकत कुछ और बया कर रहा है। भ्रष्टाचार में इस तरह संलिप्त ग्राम पंचायत भुसरी पर क्यों नही अधिकारियों कि निगाहें पड़ रही।
आखिर कार क्या मामला है।जो प्रधान के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं हो रहा। क्या प्रधान के ऊपर किसी राजनीतिक व्यक्ति का हाथ है या फिर कमीशन का असर जिससे प्रधान पर कोई कार्यवाही नहीं हो रहा

आखिर भ्रष्टाचार इसी तरह बढ़ता रहा तो आने वाले समय में भ्रष्टाचार करना लोग वाजिब समझेंगे भुसरी कि तरह। ग्राम पंचायत भुसरी में -1-फूलचंद के खेत से तेजू के खेत तक चक मार्ग ,-2- भुसरी से मझौवा कला प्रथम तक चक मार्ग-3-जयराम के  खेत से बिफई के खेत तक चक मार्ग -4-सतराम के चक से अफाक के चक तक चक मार्ग दर्शाया गया है। उस पर जमीनी हकीकत कुछ और है। सूत्रों का मानें तो रोजगार सेवक भ्रष्टाचार में अहम रोल अदा करता है। क्या रोजगार सेवक को इस काम के लिए अलग से मेहनताना मिलता है। या प्रधान का दबाव आखिर कार रोजगार सेवक अपनी नौकरी क्यों दांव पर लगा दिया।


ग्राम पंचायत भुसरी में इतना लम्बा हाजिरी लगाकर प्रधान और रोजगार सेवक ने यह साबित कर दिया कि ग्राम पंचायत भुसरी में मनरेगा मजदूरों कि जरूरत नहीं है। केवल कागज कि कोरम पूर्ति कर मजदूरों कि संख्या बढ़ा दी जाती है। रही बात भुगतान कि तो कहीं न कहीं मजबूरी में मनरेगा मजदूरों के खाते में मजदूरी भेजना पड़ता है। भेजें गये मजदूरी को निकालने के एवज में जाबकार्ड धारक को दो सौ से तीन सौ देकर सभी पैसे को रोजगार सेवक खड़ाऊं प्रधान सहित बिभागिये लोग हजम कर जाते हैं।सूत्रों के अनुसार सचिव साहब प्रधान के ऊपर मेहरबान है।

ग्रामीणों के अनुसार इस तरह तमाम काम कराये जाते हैं। जहां मजदूर कम हाजिरी ज्यादा होती है। फिर उसी काम को मास्टररोल में मनरेगा मजदूरों का फोटो लगाकर उनकी उपस्थिति आनलाइन दर्ज करा दी जाती है।ग्रामीणों की मानें तो यह मनरेगा में सेंध लगाने की पृष्ठभूमि तैयारी करने का मामला है।इसी तरह से ग्राम पंचायत भुसरी में मजदूरों का फोटो आनलाइन कर फर्जी तरीके से सैकड़ों मजदूरों द्वारा कार्य कराए जाने का मामला ग्रामीणों में चर्चा का विषय बना रहता है।भ्रष्टाचार के खेल में किन- किन लोगों की संलिप्तता होती है यह जिम्मेदार ही जाने, परन्तु इस प्रकार के समाचार अक्सर सुर्खियों में भी आते रहते हैं जो जांच का विषय है।बी डी ओ रूधौली से दूरभाष के माध्यम से बात हुई उन्होंने कहा जांच कर कार्रवाई कि जायेगी।

डी सी मनरेगा से बात करने कि कोशिश कि गयी डी सी मनरेगा ने दूरभाष पर कहा शिकायती पत्र दीजिए जांच कर कार्यवाही करेंगे

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