महराजगंज: पीडब्ल्यूडी पटरी पर मंडी से  अवैध वसूली कराने वाले जिम्मेदार पर होगी कार्रवाई? जिम्मेदार अधिकारी व जनप्रतिनिधि मौन क्यों?

गजेन्द्र नाथ पांडेय -पूर्वांचल बुलेटिन निष्पक्ष खबर अब तक

महराजगंज उत्तर प्रदेश

एक तरफ शासन का निर्देश है कि किसान अपने फसलों को किसी भी मंडी में ले जाकर बिक्री करेगा ।उस पर कोई मंडी शुल्क नहीं लगेगा।न ही सार्वजनिक भूमि पर लगने वाले मंडी पर शुल्क लगेगा। लेकिन महराजगंज जनपद में जिम्मेदार अधिकारियों की शासन के फरमान पर बड़ा लापरवाही देखने को मिला। महराजगंज में जिम्मेदार  पीडब्ल्यूडी के पटरी पर लगने वाले मंडी से  किसानों से तहबाजारी करवा दिया। जिससे किसान हल्कान में आ गए। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी व जनप्रतिनिधि तहबाजारी को लेकर मौन है?

अखिलेश सरकार में नीलामी व तहबाजारी पर लगा था रोक

यूपी के महराजगंज में गोरखपुर सोनौली हाइवे पर स्थित मोहनापुर ढाला से निकलने वाली पीडब्ल्यूडी की पटरी पर लगभग बीसों वर्षों मंडी लगा कर किसान अपने सब्जी की बिक्री ब्य दूकानदारो को विक्री करते थे। महराजगंज से निलामी होता था। लेकिन जैसे अखिलेश यादव की सरकार बनी नीलामी व तहबाजारी पर रोक लगा दिया गया।तभी से पटरी पर लग रहे मंडी से वसूली बंद था ।

02योगी सरकार सरकार में नीलामी कर जिम्मेदार अधिकारी ने शुरू करा दिया मंडी से वसूली

अखिलेश सरकार से लेकर 01योगी सरकार व 02योगी सरकार के 14नवंबर 2024 तक पीडब्ल्यूडी सड़क के पटरी पर लग रहे मंडी पर वसूली बंद था। लेकिन 16नवंबर से जिले के कुछ जिम्मेदार अधिकारियों ने योगी सरकार के सख्त फरमान के बाद भी पीडब्ल्यूडी सड़क के पटरी को अपना बताकर नीलामी कर दिया गया। जिससे किसानों से मनमानी तरीके से नीलामी लेने वाले कुछ छोट भैय्ये नेता को मिला कर वसूली करना शुरू कर दिया। जिससे किसानो में रोष भर गया। मनमानी वसूली को लेकर चर्चा जिलाधिकारी महराजगंज अनुनय झां तक पंहुच गया।

पीडब्ल्यूडी की पटरी से अवैध वसूली को मीडिया ने प्रमुखता से छापा तो जिम्मेदार की खूली आंख-लगा रोक

जब मीडिया ने पीडब्ल्यूडी की पटरी से अवैध वसूली को प्रमुखता से प्रकाशित किया तो पीडब्ल्यूडी व बनविभाग राजस्व सहित स्थानीय पुलिस मौके पर पंहुच जांच किया तो पता चला की बनविभाग के द्वारा अपनी जमीन बताकर नीलामी किया है गया है । जिससे नीलामी लेने वाले लोगो ने किसानों के साथ भारी खेला कर रहे थे। लेकिन लोकनिर्माण विभाग ने वसूली पर रोक दिया तब तक के लिए की जब तक जमीन की स्थिति फाइनल न हो जाए।

विश्वस्त सूत्र बताते हैं :-

राजस्व विभाग के विश्वस्त सूत्रों बताते हैं की जिस पीडब्ल्यूडी के पटरी को बन विभाग के बनविभाग की सड़क बताकर नीलामी नवंबर 2024 में किया गया था।वह सड़क कहीं भी राजस्व अभिलेख में बनविभाग का नहीं दिखाई दे रहा है।राजस्व अभिलेख का नक्शा भी पीडब्ल्यूडी का सड़क दर्शा रहा है ।जिसके आधार पर अखिलेश सरकार ने नीलामी व तहबाजारी पर रोक लगा दिया था। जिससे किसान खुशहाल तरीके से मंडी में लाकर अपने सब्जी को ब्य दूकानदारो को बेचते थे।

क्या पीडब्ल्यूडी के पटरी को बन विभाग की सड़क बताकर निलामी करने वाले जिम्मेदार व वसूली करने वाले पर होगी कार्रवाई:-

महराजगंज प्रभागीय वनाधिकारी के द्वारा पीडब्ल्यूडी के सड़क को बन विभाग की जमीन बताकर मंडी के नाम नीलामी कर नीलामी का शुल्क टैक्स के पेपर समेत जमा कराकर नीलामी दे दिया गया।जिसके आधार पर नीलामी लेने वाले ठेकेदार ने पीडब्ल्यूडी के पटरी से वसूली शुरू कर दिया था। लेकिन हस्तक्षेप के बाद बंद हुआ वसूली।

बन विभाग के जिम्मेदार सवालों के घेरे में है क्या योगी सरकार में होगी नीलामी करने वाले व वसूली करने वालों पर कार्रवाई:-

बन विभाग की सड़क ग्रामीण क्षेत्र से जुड़ा है ।योगी सरकार बन ग्राम पंचायत को पीच सड़क से जोड़ने के वर्ष 2022मे महराजगंज जिला मुख्यालय पर आकर स्वयं यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने शिलान्यास कर बजट जारी किया था।जिस पर लोक निर्माण विभाग सड़क निर्माण के लिए बहुत ही प्रयास किया बनविभाग से लेकर बन विभाग न तो स्वयं बनाया और न ही लोक निर्माण विभाग को बनाने दिया।ऐसे में अगर राजस्व अभिलेख पीडब्ल्यूडी सड़क बतला रहा है तो उस सड़क का मालिक बन विभाग होगा या लोकनिर्माण।आखिर बन विभाग आंख बंद कर क्यो नीलाम कर दिया पीडब्ल्यूडी की सड़क।क्या ऐसे में लोक निर्माण विभाग व जनपद के जनप्रतिनिधि कार्रवाई करा सकते हैं जिसे लेकर क्षेत्र एक चर्चा बना है ।सख्त योगी सरकार फीर भी जिम्मेदार अधिकारी व जनप्रतिनिधि मौन क्यों?

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