*फसल अवशेष को न जलाएं किसान*
सिद्धार्थनगर।वर्तमान समय में धान की कटाई शुरू हो चुकी है। कटाई के उपरांत किसान भाई खेतों को खाली करने के लिए फसल अवशेषों को जलाना शुरू कर देते हैं। इससे खेत खाली तो हो जाता है। परंतु मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
खुनियांव ब्लाक पर कार्यरत बी टी एम विजय शंकर तिवारी ने बताया कि यदि कटाई के उपरांत फसल अवशेषों को जलाने से मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन , फास्फोरस ,पोटाश एवं सल्फर नष्ट हो जाता है ।साथ ही लाभदायक सूक्ष्म जीवों का नाश हो जाता है। केंचुआ मकड़ी जैसे मित्र कीटों की संख्या भी कम हो जाती है। इसके साथ ही मिट्टी की भौतिक संरचना एवं गुणों पर प्रभाव पड़ता है। पशुओं के लिए चारे में कमी आती है ।फसल अवशेषों को जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है। इसका प्रभाव मानव और पशुओं के अलावा मिट्टी के स्वास्थ्य एवं पशुओं के उत्पादन एवं और उत्पादकता पर पड़ता है ।इसलिए कटाई के बाद में खेत में बचे अवशेषों, घास फूस,पत्तियों को इकट्ठा करके गहरी जुताई करके जमीन में दबा दें और खेत में पानी भर दें। 20 से 25 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर कल्टीवेटर या रोटावेटर से जुताई करके मिट्टी में मिला देना चाहिए। इस प्रकार अवशेष खेत में विघटित होना प्रारंभ कर देंगे। लगभग एक माह में स्वयं सड़कर आगे बोई जाने वाली फसल को पोषक तत्व प्रदान कर देंगे।
जिला संवाददाता मोहम्मद अयूब सिद्धार्थनगर
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