*वेदों का सार है भागवत पुराण : पंडित नागेंद्र*
सिद्धार्थनगर ।भागवत कथा प्रभु श्रीकृष्ण लीला का वृहद रूप है। इसके श्रवण से जन्म जन्मांतर का पाप नष्ट होकर प्राणी उद्धार हो जाता है। उक्त बातें क्षेत्र के कोल्हुआ के टोला सारंगी में मंगलवार को कथा व्यास पंडित नागेंद्र नाथ मिश्र श्रद्धालुओ को कथारस का अमृतपान करवाते हुए व्यक्त किया।
कथा को विस्तार देते हुए कथा व्यास ने कहा कि जन्म जन्मांतर एवं युग युगांतर में जब पुण्य का उदय होता है, तब ऐसा अनुष्ठान होता है। श्रीमद्भागवत कथा एक अमर कथा है। इसे सुनने से पापी भी पाप मुक्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि वेदों का सार भागवतपुराण उसी सनातन ज्ञान की गंगा है, जो वेदों से प्रवाहित होती चली आई है। इसलिए भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा गया है। उन्होंने श्रीमद्भागवत महापुराण का बखान किया। कहा कि सबसे पहले सुखदेव मुनि ने राजा परीक्षित को भागवत कथा सुनाई थी, उन्हें सात दिनों के अंदर तक्षक के दंश से मृत्यु का श्राप मिला था। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा अमृत पान करने से संपूर्ण पापों का नाश होता है। इस अवसर पर राज बहादुर सिंह, रणजीत सिंह, नीरज, आयुष, शुभम आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे।
जिला संवाददाता मोहम्मद अयूब सिद्धार्थनगर।
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