*बाल विवाह पर अंकुश सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला :राजेश मणि त्रिपाठी*
*बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का हनन, कानून पर अमल के लिए जारी किया दिशा निर्देश*
*मानव सेवा संस्थान सेवा के निदेशक राजेश मणि ने कृतज्ञता जाहिर करते हुए कहा, यह फैसला 2030 तक देश से बाल विवाह का खात्मा सुनिश्चित करेगा*
सिद्धार्थनगर।देश में बाल विवाह कानून पर एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि बाल विवाह अपनी मर्जी से जीवनसाथी चुनने के अधिकार को छीनता है। ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के सहयोगियों सोसाइटी फॉर एनलाइटेनमेंट एंड वालंटरी एक्शन (सेवा) और कार्यकर्ता निर्मल गोरानी की याचिका पर आए इस फैसले का स्वागत करते हुए गैरसरकारी संगठन मानव सेवा संस्थान सेवा के निदेशक राजेश मणि ने कहा कि “सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से देश में बाल विवाह के खात्मे के प्रयासों को मजबूती मिलेगी।
उन्होंने कहा कि हम राज्य सरकार से अपील करते हैं कि वह इन दिशा निर्देशों पर तत्काल प्रभाव से अमल करे ताकि 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त बनाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। कहा कि” मानव सेवा संस्थान सेवा ’’ देश के 200 से ज्यादा गैरसरकारी संगठनों के गठबंधन ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ (सीएमएफआई) अभियान का एक अहम सहयोगी है, जो 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लिए 400 से ज्यादा जिलों में जमीनी अभियान चला रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी दिशा निर्देशों में स्कूलों, धार्मिक संस्थाओं और पंचायतों को बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता के प्रसार का अहम औजार बताते हुए बाल विवाह की ज्यादा दर वाले इलाकों में स्कूली पाठ्यक्रम में बाल विवाह की रोकथाम से संबंधित उपायों की जानकारियां शामिल करने को कहा गया है। खंडपीठ गैरसरकारी संगठन सेवा और कार्यकर्ता निर्मल गोराना की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दावा किया गया था कि देश में बाल विवाह की स्थिति गंभीर है, और बाल विवाह के खिलाफ बने कानून पर उसकी अक्षरशः अमल नही कर उसकी मूल भावना से खिलवाड़ किया जा रहा है।
सफल हो सकता है जब बहु क्षेत्रीय समन्वय हो।कानून प्रवर्तन अधिकारियों के प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण की आवश्यकता है। हम एक बार फिर समुदाय आधारित दृदृष्टिकोण की जरूरत पर जोर देते हैं
फैसले का स्वागत करते हुए मानव सेवा संस्थान सेवा के निदेशक राजेश मणि ने कहा, “यह हम सभी के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण फैसला है। राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन बाल विवाह के खात्मे के लिए जिस जोश और संकल्प के साथ काम कर रहे हैं, वह सराहनीय है और यह फैसला हम सभी के साझा प्रयासों को और मजबूती देगा। बाल विवाह एक ऐसा अपराध है जिसने सारे देश को जकड़ रखा है और इसकी स्पष्ट व्याख्या के लिए सुप्रीम कोर्ट के आभारी हैं। हम आश्वस्त हैं कि साथ मिलकर और साझा प्रयासों से हम 2030 तक इस अपराध का पूरी तरह खात्मा कर देंगे ।” बताते चलें कि पिछले एक साल में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान और इसके सहयोगी गैरसरकारी संगठनों के प्रयासों से देश में सफलतापूर्वक 120,000 बाल विवाह रुकवाए गए। इसके अलावा, सरकार के प्रयासों से बाल विवाह की दृदृष्टि से संवेदनशील 11 लाख बच्चों का विवाह होने से रोका गया ।
जिला संवाददाता- मोहम्मद अयूब सिद्धार्थनगर।