*मनरेगा मजदूरी के लिए भटक रहे है मनरेगा श्रमिक*मनरेगा योजना में 14 दिन में श्रमिकों का मजदूरी भेजने का है नियम*तीन माह से ऊपर हो गया नही आ रहा है मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी
सरकार द्वारा गांव के मजदूरों के रोजगार के लिए चलाए जा रहे महत्वपूर्ण योजना गावो में मनरेगा योजना से हो रहे विकास कार्यों में लगे मजदूरों की मजदूरी विगत तीन माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी मजदूरी का पैसा नही आ रहा है।
जिससे ग्रामीण मजदूरों सहित ग्राम प्रधान भी हैरान परेशान है। जबकि मनरेगा के कच्चे कार्यों पर 14 दिन के अंदर मजदूर के खाते में उनकी मजदूरी पैसा आ जाना चाहिए। लेकिन तीन माह से पैसा न आने से मजदूर ग्राम प्रधान का सुबह से ही घर घेर रहे है कि मजदूरी कब आएगा।
मनरेगा योजना में हो रहे कच्चे कार्यों का पैसा नवम्बर महीने में आया था तब से मजदूरों की मजदूरी नहीं आई है। जिससे मजदूरों के घर रोटी के लाले पड़े हुए हैं।सबसे ज्यादा दिक्कत तो ग्राम प्रधान की हो चुकी है काम तो ग्राम प्रधान ने करवाया है तो मजदूर तो मजदूरी के बारे में उन्हीं से पूछेंगे, कि क्यों नहीं आ रहा है। कई ग्राम प्रधानों ने बताया कि तीन महीने से पैसा नहीं आने से मजदूर परेशान है
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सुबह 6 बजे ही अनेकों मजदूर हम लोगो के घर पहुंच जा रहे है कि मजदूरी कहा है कब आएगा।गाव के लोगो की जीविका उसी मजदूरी पर ही टिकी रहती है। खान पान से लेकर दवाई तक मजदूरी पर ही टिकी रहती है। प्रधानों का कहना है कि अब हम लोग कितना मदद कर पाएंगे।मनरेगा योजना में नियम है कि 14 दिन के अंदर मजदूर की मजदूरी उसके खाते में चली जानी चाहिए। लेकिन नियम कायदा का कोई मायने नहीं दिखाई दे रहा है।अगर मजदूरी पेमेंट का यही हाल रहा तो कोई भी आदमी मनरेगा योजना में काम ही नहीं करेगा।