**देवदह में अशोक धम्म विजयदशमी कार्यक्रम आयोजित
युद्ध नही अब बुद्ध की जरूरत है सम्पूर्ण विश्व को
यूपी महराजगंज
लक्ष्मीपुर के बनर्सिहा कला स्थित गौतम बुद्ध की ननिहाल देवदह टीले पर मंगलवार को अशोक धम्म विजयदशमी पर पूजा अर्चना कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में महान सम्राट अशोक व बाबा साहब के जीवन पर प्रकाश डाला गया। इस बीच अनुयायियों ने जगत में बुद्ध का नाम है।
भारत की यही शान है और बौद्ध धर्म की क्या पहचान, मानव-मानव एक समान है आदि गगनभेदी नारों से लोगों की सुख शांति का संदेश दिया।
कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि डॉ राकेश भारती आईआरएएस (वरिष्ठ रेल अधिकारी) ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि
“अशोक विजयादशमी” शब्द उस ऐतिहासिक उत्सव से लिया गया है जो कलिंग युद्ध में सम्राट अशोक की जीत के दस दिन बाद हुआ था। इसी दिन सम्राट अशोक ने बौद्ध धम्म का मार्ग शुरू किया था, जो उनके जीवन में एक परिवर्तनकारी क्षण था। भीषण कलिंग युद्ध के बाद, उन्होंने हिंसा छोड़ दी और बौद्ध धम्म के सिद्धांतों को अपना लिया।
इस दस दिवसीय कार्यक्रम में दसवें दिन का महत्वपूर्ण क्षण शामिल था जब सम्राट अशोक ने अपने शाही परिवार के साथ, प्रतिष्ठित बौद्ध भिक्षु, भंते मोग्गिलिपुत्त तिष्य से धम्म की शिक्षा प्राप्त की थी। इस धम्म दीक्षा के बाद, अशोक ने अपनी प्रजा का दिल बल या शस्त्र के माध्यम से नहीं बल्कि शांति और अहिंसा के माध्यम से जीतने की प्रतिज्ञा की।
बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार की अपनी प्रतिबद्धता में, अशोक ने उल्लेखनीय प्रयास किए, जिनमें हजारों स्तूपों का निर्माण, शिलालेखों और धम्म स्तंभों की स्थापना और बौद्ध धर्म के विस्तार के लिए अपनी बेटी संघमित्रा और बेटे महेंद्र को बौद्ध भिक्षुओं के रूप में श्रीलंका भेजना शामिल था, जहां उन्होंने 84,000 स्तम्भ खड़े किये गये। उन्होंने अपने संसाधनों को धम्म की सेवा में निवेश किया, जो दान और कल्याण के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है।
इस दिन, जिसे दशहरा के नाम से जाना जाता है, सम्राट अशोक द्वारा की गई घोषणा को उनके शाही अधिकार से अधिकृत कर दिया गया था, और उन्होंने अपने क्षेत्र के लोगों को अशोक विजयादशमी मनाने के लिए प्रोत्साहित किया, जो बौद्ध धर्म के प्रचार के साथ त्योहार के संबंध को दर्शाता है।
कार्यक्रम का आयोजन व संचालन देवदह रामग्राम बौद्ध विकास समिति के अध्यक्ष जितेन्द्र राव ने किया।
इस अवसर पर महेंद्र जायसवाल, अमरनाथ चौधरी, लक्ष्मी चंद पटेल, रोहित गौतम, पत्रिका यादव,अदालत प्रसाद हरिश्चंद्र भारती, जय अंबे प्रजापति, पुष्पा भारती, रीला चौहान, विजयलक्ष्मी, राममिलन प्रसाद, मंगल प्रसाद ,गुड्डू प्रसाद ,चंद्रभूषण आदि उपस्थित रहे।