रामानंद अध्यक्ष और एसपीएन सिंह प्रबंधक चुने गये
-श्रीरामलीला मंचन के निर्देशक की जिम्मेदारी चंद्रप्रकाश वर्मा को मिली
वर्ष 1840 से हर वर्ष ग्रामीण कलाकारों द्वारा खेली जा रही है रामलीला
कुशीनगर।
रविवार की देर रात को श्रीरामलीला एवं मेला न्यास की बैठक संपन्न हुई। कसया विकासखंड के मठिया माधोपुर गांव के श्रीरामलीला मैदान स्थित सत्यम, शिवम्, सुंदरम परिसर में होने वाली इस बैठक में सैकड़ों लोगों ने भागीदारी की। श्रीरामलीला एवं मेला समिति के पदाधिकारियों का चयन हुआ। सामान्यतया कमेटी में कोई विशेष बदलाव नहीं हुआ। आंशिक परिवर्तन के साथ श्रीरामलीला एवं मेला समिति के गठन के कार्य को पूरा किया गया।
अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी एक बार फिर रामानंद वर्मा के कंधों पर दी गयी। प्रबंधक की जिम्मेदारी भी पिछली बार के दायित्वधारी शिव प्रताप नारायण सिंह को सौंपी गयी। पयोद कांत मिश्र को मंत्री और धर्मेंद्र साहू को सह-मंत्री बनाया गया जबकि संयुक्त मंत्री की जिम्मेदारी लल्लन मिश्र को मिली। कोषाध्यक्ष का दायित्व नन्दलाल शर्मा और सह कोषाध्यस सुरेश यादव चुने गये। श्रीरामलीला मंचन के निर्देशक के दायित्व से आमोदकांत को मुक्त किया गया और यह जिम्मेदारी चंद्रप्रकाश वर्मा उर्फ़ मुन्ना को सौंपी गयी। अब श्री वर्मा कलाकारों की अपनी टीम तैयार करेंगे। वरिष्ठ उपाध्यक्ष दिनेश सिंह की अगुवाई वाली चार उपाध्यक्षक मंडल में चंद्रभान सिंह, परीक्षित सिंह, हेमंत यादव और जयप्रकाश सिंह को जगह मिली, जबकि उपप्रबंधक मंडल में अरविन्द वर्मा, ज्ञान सिंह, अवध नारायण यादव, भाष्कर सिंह, दुर्गेश यादव और जय प्रकाश सिंह (प्रथम) शामिल हुए।
इन समितियों का हुआ गठन
बैठक के दौरान कुल 23 उपसमितियों का गठन हुआ। इनमें संरक्षक मंडल, अध्यक्ष, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, उपाध्यक्ष मंडल, प्रबंधक, उपप्रबंधक मंडल, मन्त्री, सहमंत्री, संयुक्त मंत्री, कोषाध्यक्ष, सहकोषाध्यक्ष, ऑडिटर मंडल, मीडिया मंडल, परामर्श मंडल, श्रीरामलीला अध्यक्ष/निर्देशक, संचालन मंडल, श्रीराम चरितमानस पाठक मंडल, सूचना एवं प्रसारण मंत्री, रावण निर्माण समिति, कौड़ी संग्रह समिति, नाटक व्यवस्था समिति, सुरक्षा एवं नियंत्रण समिति आदि शामिल हैं।
बता दें कि माधोपुर की रामलीला में ग्रामीण कलाकार ही हिस्सा लेते हैं। वर्ष 1840 से लगातार हर वर्ष होने वाली इस श्रीरामलीला का मंचन श्रीरामलीला मैदान स्थित हनुमत चबूतरा पर होता है। अश्विन शुक्ल पंचमी को हनुमत पताका स्थापना के साथ शुरू होने वाली यह श्रीरामलीला गुरु पूर्णिमा को 35 फुट लम्बे रावण दहन और दो दिवसीय मेले के साथ संपन्न होता है। श्रीराम राजगद्दी का आयोजन क्षेत्र के लगभग दर्जन भर गाँवों में श्रीराम रथ भ्रमण के साथ छोटी दीपावली के दिन होता है।
रामानंद अध्यक्ष और एसपीएन सिंह प्रबंधक चुने गये:वर्ष 1840से ग्रामीण कलाकारों द्वारा रामलीला का मंचन किया जाता है
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