जिले में लाइलाज बीमारी फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान गुरूवार से शुरू हुआ, जो कि 28 अगस्त तक चलेगा । नगर के हनुमान इंटरमीडिएट कालेज, पडरौना में अभियान की शुरूआत संयुक्त रुप समाजसेवी व कालेज के प्रबंधक मनोज शर्मा सारस्वत व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सुरेश पटारिया ने प्रचार वाहनों को हरी झंडी दिखाकर तथा खुद फाइलेरिया की दवाओं का सेवन करके किया । अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ता व स्वास्थ्यकर्मी घर – घर जाएंगे और अपने सामने ही दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराएंगे। गर्भवती और अति गंभीर बीमार को दवा का सेवन नहीं करना है । एक से दो वर्ष तक के बच्चों को सिर्फ पेट के कीड़े निकालने की दवा खिलाई जाएगी ।
प्रबंधक मनोज शर्मा सारस्वत ने जनपदवासियों से अपील की है कि वह खुद दवा का सेवन करें और आस-पास के लोगों को दवा सेवन के लिए प्रेरित करें। दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है । स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही दवा खानी है । दवा का सेवन सिर्फ फाइलेरिया मरीज को नहीं, बल्कि दो वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति को करना है । पांच साल में पांच बार यानी साल में एक बार इस दवा का सेवन कर लेने से फाइलेरिया (हाथीपांव व हाइड्रोसील) से बचाव होगा । उन्होंने फाइलेरिया उन्मूलन की शपथ दिलाई और अभियान के समर्थन में हस्ताक्षर भी किया ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सुरेश पटारिया ने बताया कि जिले की करीब 40.48 लाख की आबादी को दवा का सेवन कराया जाएगा । दवा के निर्धारित डोज का सेवन आशा कार्यकर्ता या स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही करना है । अगर टीम पहुंचने पर घर का कोई सदस्य उपस्थित नहीं है तो वह आशा कार्यकर्ता के घर जाकर उनकेसामने ही दवा का सेवन करें । अभियान के संचालन के लिए 3614 टीम बनाई गई हैं जिन पर नजर रखने के लिए 689 पर्यवेक्षकों को लगाया गया है । फाइलेरिया से बचाव की दवा शरीर में इसके परजीवियों को मारती है जिसके प्रतिक्रिया स्वरूप कभी कभी सिर दर्द, शरीर दर्द, बुखार, उल्टी और बदन पर चकत्ते जैसे लक्षण सामने आते हैं । यह लक्षण स्वतः ठीक हो जाते हैं और जिनमें यह लक्षण आ रहे हैं उन्हें खुश होना चाहिए कि वह फाइलेरिया से मुक्त हो रहे हैं। जरूरी समझने पर आशा कार्यकर्ता की मदद से रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र की सेवाएं ले सकते हैं । उन्होंने बताया कि जिले में हाथीपांव के 1315 से ज्यादा और हाइड्रोसील के 175 से अधिक मरीज चिन्हित हैं । फाइलेरिया ग्रसित इन जैसे और भी मरीज न आएं इसी उद्देश्य से बड़ी आबादी को दवा का सेवन करवाना होगा, जिसमें सामुदायिक सहयोग अपेक्षित है ।
इस दौरान वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के नोडल अधिकारी व उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर. के. गुप्ता ने कहा कि फाइलेरिया बीमारी संक्रमित मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है । मच्छरदानी के प्रयोग और आस-पास साफ सफाई रखने के साथ साथ साल में एक बार दवा के सेवन से ही इस बीमारी से बचा जा सकता है । यह बीमारी विश्व में दीर्घकालिक दिव्यांगता का दूसरा प्रमुख कारण है । एक बार हाथीपांव या हाइड्रोसील हो जाने पर उसे सिर्फ नियंत्रित किया जा सकता है, पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता । दवा सेवन ही श्रेष्ठ उपाय है ।
इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य शैलेन्द्र दत्त शुक्ला, सहायक मलेरिया अधिकारी विजय गिरी, मलेरिया निरीक्षक पिंकेश राय, सोनम पांडेय, प्रगति द्विवेदी, पीसीआई ( कालाजार) के एसएन पांडेय, पाथ संस्था के जिला समन्वयक मोहम्मद राशिद, पीसीआई के जिला समन्वयक डॉ नितेश श्रीवास्तव के साथ ही अन्य लोग प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।
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पहली बार किया दवा का सेवन
पडरौना नगर के छावनी निवासी 16 वर्षीय अंकित ने बताया कि उन्होंने पहली बार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन किया है। इसके लिए उन्हें उनके प्रधानाचार्य शैलेन्द्र दत्त शुक्ला ने प्रेरित किया। सुभाष चौक निवासी 17 वर्षीया पूजा ने बताया कि उन्होंने पहली बार फाइलेरिया की दवा खाई है। उनके शिक्षक ने फाइलेरिया के बारे में विस्तार से बताया था। दवा खाने के बाद उन्हें कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं दिखाई दिया।
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सहयोग कर रहे हैं विभिन्न संगठन
सहायक जिला मलेरिया अधिकारी विजय गिरी ने बताया कि दवा सेवन के प्रति लोगों को जागरूक करने में जिले के समाजसेवियों, स्कूलों के प्रधानाचार्य व प्रबंधकों, पाथ, डब्ल्यूएचओ, पीसीआई, सीफॉर, यूनीसेफ, रोटरी क्लब, व्यापार मंडल व अन्य संस्थाओं का सहयोग मिल रहा है।