अर्जुन जायसवाल -पूर्वांचल बुलेटिन निष्पक्ष खबर अब तक
पानी नहीं आंसू बहा रही रोहिन नदी अस्तित्व पर खतरा, नाले में तब्दील हो गई है नदी
बेपरवाही और बेफिक्री से दूषित
हो रहा रोहिन नदी का जल
*अर्जुन जयसवाल की विशेष रिपोर्ट–*
एक ओर तो प्रदेश सरकार बड़ी यात्रा के माध्यम से नदी के शुद्धि और संरक्षण को लेकर जागरूक करने का प्रयास कर रहा है। वहीं स्थानीय स्तर पर छोटी और सहायक नदी की दुर्दशा पर किसी का भी ध्यान नहीं है। ऐसा ही एक नदी महराजगंज जनपद के नौतनवा तहसील क्षेत्र में हैं। जो अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही हैं। कचरे से पटी नदी उथली हो गई हैं। अतिक्रमण की भेंट चढ़कर नाले में बदलती जा रही हैं। बारिश में जब ये उफनती हैं तो इनके गहरीकरण, गाद निकलवाने की कवायद याद आती है। जिम्मेदार प्रयास कर रहे हैं का जवाब देकर इतिश्री कर लेते हैं। नेपाल राष्ट्र के दानों नदी से होते हुए गोरखपुर मंडल क्षेत्र के गुलहरिया, बहादुरपुर, लोटन, सपही, नवाडीह कला, राजमंदिर कलान, बभानी बुजुर्ग, खहरहवा, सोंपीपरी बुजुर्ग, परसौना, कोल्हुई, कुशहा, रुद्रपुर शिवनाथ, विशुनपुर फुलवरिया, गुरचिहा, बड़हरा शिवनाथ, मझौली, सोंधी, लक्ष्मीपुर, मानिक तलाव, ।मठिया ईदू, रिसालपुर भोथहा, भगवानपुर, बसंतपुर, रघुनाथपुर, जंगल शाहपुर, ताँल्हि, भगवानपुर समेत सैकड़ों गांव से होकर निकलने वाली रोहिन नदी का जलस्तर काफी गिर चुका है। बारिश के मौसम को छोड़कर साल के अन्य महीनों में इसमें पानी कम ही दिखाई पड़ता है। दशकों पहले नदी में पानी उफान पर रहता था। जिससे नदी के आस पास वाले गांवों के किसान हजारों बीघा फसल की सिंचाई नदी के पानी से करते थे । हरी-भरी फसलें खेतों में लहलहाया करती थीं। मोटे और बारीक हर तरह के अनाज, अन्य फसलें व सब्जियां आदि किसानों के द्वारा उगाई जाती थीं। पर अब ऐसा नहीं है। सिर्फ बारिश के दो-तीन महीनों को छोड़कर पूरे साल नदी में पानी कम ही दिखाई देता है। अब नदी का पानी दूषित भी हो चला है। नदी के पानी में चिपचिपा और विषैला पदार्थ दिखाई देता है। जो कि इंसानों तो दूर जानवरों तक के पीने के लायक नहीं बचा है। जिन गांवों से होकर नदी गुजरती है उनके आसपास के इलाके में हैंड पाइप दूषित और बदबूदार पानी निकलता है। जिसे पीने के लिए इस्तेमाल करना सिर्फ एक मजबूरी है। दूषित पानी पीने की वजह से नदी के आस पास वाले इलाके के दर्जनों गांवों में अक्सर बीमारियां बढ़ जाती हैं। दशकों तक क्षेत्र में खुशहाली का अभिप्राय रही रोहिन नदी का पानी मौजूदा समय में अत्यन्त दूषित हो गया है। जिससे किसानों की खुशियों को मानो ग्रहण सा लग गया है। यही नही कुछ बुद्धिजीवियों द्वारा रोहिन नदी में शौचालय का गंदा पानी डाला जाता हैं। जिससे नदी दूषित हो चुकी हैं।