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थमने का नाम नहीं ले रहा है बाल श्रमिकों का शोषण

थमने का नाम नहीं ले रहा है बाल श्रमिकों का शोषण
सिद्धार्थनगर। खुनियांव विकास क्षेत्र में बाल श्रमिकों का शोषण थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिधर देखो उधर ही बाल श्रमिक श्रम करते नजर आते हैं। इसके बावजूद भी बाल श्रम विभाग खामोश बना हुआ है।
वर्तमान समय में खुनियांव विकास क्षेत्र का शायद ही कोई चौराहा बाल श्रमिकों से अछूता है। होटल से लेकर मैकेनिकल दुकानों व अन्य दुकानों पर बाल श्रमिकों को श्रम करते बड़ी ही आसानी से देखा जा सकता है। इतना ही नहीं अधिकांश सरकारी कार्यालयों में साहबों के लिए चाय व नाश्ता होटल पर काम करने वाले बाल श्रमिक ही पहुंचाते हैं। ऐसे में बाल श्रम कानून की धज्जियां उड़ना कैसे नकारा जा सकता है। सबसे अफसोस की बात यह है कि बाल श्रमिकों के माता-पिता व अन्य अभिभावक मात्र चंद पैसों के लिए देश के कर्णधार कहे जाने वाले बच्चों को कठिन से कठिन काम में लगा देते हैं।

उनको यह भी नहीं समझ आता कि मात्र चंद पैसे के लिए बच्चों के भविष्य को ग्रहण लग रहा है। बच्चे का भविष्य अंधकार की तरफ तो जाता ही है, ऐसे में बाल श्रम विभाग में बैठे सरकारी तंत्र कभी कभार अभियान चलाकर वाह वाही लूटने के चक्कर में समाचार पत्रों की सुर्खियों में आ जाते हैं। अपने साहबों की नजर में बेदाग साबित हो जाते हैं। लेकिन शायद उनके साहब भी यह सवाल करने से गुरेज करते हैं, कि अभियान चलाने से पहले बाल श्रमिकों के हित में क्यों नहीं कोई ठोस कदम उठाया गया । सूत्रों के अनुसार बाल श्रमिकों के हित में चलाया गया अभियान चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात वाली कहावत चरितार्थ होती है।

जबकि सरकार बाल श्रमिकों की सुरक्षा के लिए तरह-तरह के नियम बनायी है। लेकिन बाल श्रम विभाग के नुमाइंदे सरकार द्वारा लागू किए गए नियम को ताख पर रखकर कुंभकर्णी नींद लेना ही पसंद करते हैं।  क्षेत्र के प्रबुद्ध लोगों ने शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए इस पर सख्त कार्यवाही करने की मांग किया है।इस संबंध में श्रम प्रवर्तन अधिकारी ने बताया कि बाल श्रम के विरुद्ध समय समय पर अभियान जरूर चलाया जाता है।

जिला संवाददाता-‌ मोहम्मद अयूब सिद्धार्थनगर।

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