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ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी हैं माॅ शारदा; मोहम्मद अयूब की रिपोर्ट सिद्वार्थनगर

मोहम्मद अयूब-जिला संवाददाता सिद्वार्थनगर

*ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी हैं माॅ शारदा*


कपिलवस्तु। भाषा विभाग के अधीन उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा संचालित संस्कृतशिक्षण एवं पाठ्यक्रम निर्माण योजना के अंतर्गत संचालित ऑनलाइन संस्कृतभाषाशिक्षण योजना के अंतर्गत बसन्त पंचमी आधृत्य बौद्धिक सत्र का शुभारम्भ प्रशिक्षु वर्धन ने वैदिक मंगलाचरण से किया।

कुमुद शर्मा ने सरस्वती वन्दना की। सत्र का संचालन संस्थान प्रशिक्षिका अनीता वर्मा ने किया। संस्थान गीतिका ज्योत्सना ने प्रस्तुत की। स्वागत भाषण व अतिथि परिचय प्रशिक्षिका श्वेता बरनवाल ने किया। प्रशिक्षु सोनम ने सुमधुर स्वागतगीत गाकर कार्यक्रम को संगीतमय कर दिया। प्रशिक्षु पल्लवी ने वाग देवी सरस्वती आधारित गीत प्रस्तुत किया।

प्रशिक्षु बबिता ने सरस्वती की कथा प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि गोरखनाथ विद्यापीठ के दर्शन विभाग के संस्कृतानुरागी डॉ० प्राङ्गेश कुमार मिश्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि माता सरस्वती ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी हैं। यह ब्रह्मा जी के द्वारा माघ मास के शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि में उत्पन्न हुई हैं। उन्होंने बसन्त पंचमी तिथि की महत्ता को बताते हुए कहा कि इसी दिन प्रतिक्षारत माता शबरी का भगवान श्रीराम दर्शन हुआ था।

महाराज हर्षवर्धन भी इसी दिन गंगा के तट पर आकर स्नान ध्यान किया करते थे। इस दिन भक्त ज्ञान, कला और विद्या की देवी देवी सरस्वती का सम्मान और पूजा करते हैं। वसंत पंचमी महान सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक महत्व रखती है, क्योंकि यह प्रकृति के नवीनीकरण और नई शुरुआत की शुरुआत का प्रतीक है। उन्होंने संस्कृत भाषा की रोचकता व विशेषता को बताया।

सत्र के अन्त में प्रशिक्षक महेन्द्र मिश्र ने समागतों का धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रशिक्षु विदुषी ने शान्तिमन्त्र कर सत्र का समापक किया।

प्रशिक्षक महेन्द्र मिश्र ने सूचना प्रदान की। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव, डॉ० दिनेश मिश्र, सर्वेक्षिका डॉ० चंद्रकला शाक्या, प्रशिक्षण प्रमुख सुधीष्ठ मिश्र, समन्वयकगण धीरज मैठाणी, दिव्य रंजन तथा राधा शर्मा, अनिल गौतम, संस्थान प्रशिक्षक अंशू, दीपमाला, सत्य प्रकाश मिश्रव आदि उपस्थित रहे।
जिला सवाददाता- मोहम्द अयूब सिद्धार्थनगर।

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